शाहिद इकवाल
साहिबगंज 11 /07 /2017 एल० सी० रोड स्थित जामा मस्जिद में साहिबगंज जिले के सभी 119 हज़ यात्रियों को प्रक्षिशण दिया गया ! जिले से इस बार 43 महिला व 76 पुरुष हज़ यात्रा पर जाएंगे ! इस मौके पर राज्य हज़ कमेटी के ट्रेनर हाजी अबुल खेर ने कहा की हज़ एक अज़ीम फ़रीज़ा है ! जो इस्लाम धर्म के साहेन निसान उन पर फ़र्ज़ है है के पहले दिन मक्का में तबाफ करने के बाद अरफ़ात (मैदान)जाना होता है कुर्वानी देना शैतान को कंकड़ी मरना हाजी शफीक आलम ने हाजियो को कैसे मक्का-मदीने में 40 रोज़ गुज़ारने है उस बात की पूरी जानकारी दी !
हज़ कमेटी व्यस्थापक मु० अनवर अली ने बताया की रांची एयरपोर्ट पर उड़ान भरने से पहले आप को क्या-क्या सामान ले जाना है हर हाजी को दो बड़े बैग जो 22 इंच का गले में लटकाने वाला बैग जिसमे आपके आने-जाने का हवाई टिकट वीजा स्वस्थ कार्ड पासपोर्ट अगर आप डॉक्टर के इलाज में है तो डॉक्टर का नुस्खा से साथ साथ दवाई ! हवाई अड्डे में अरब में खर्च के लिए 2100 रियाल भी मिलेंगे l जिसने भी कुर्वानी का पैसा जमा कर दिया है वह उसे पैसे नहीं देने होंगे ! इस मौके पर हाजी शफीक आलम , शरीफुल हक़ ,हाजी मकदूम शरीफ ,हाजी कमाल मुफ़्ती अज़र हुसैन ,मुर्शाद अली ,असलम अली ,सईद एवं इक़बाल अली मौजूद थे !
साहिबगंज 30/06/2017
झारखंड विकास मोर्चा साहिबगंज के जिलाध्यक्ष राजकुमार यादव के नेतृत्व में 30 जून को हूल क्रान्ति दिवस पर संथाल बिद्रोह के महानायक शहीद सिद्धू-कान्हू की प्रतिमा में माल्यार्पण किया गया ।उक्त श्रद्धांजलि कार्यक्रम में झा0वि0मो0 सदस्य शाहिद इकवाल व् अन्य गणमान्य मौजूद थे ! भारतीय इतिहास में स्वाधीनता संग्राम की पहली लड़ाई वैसे तो सन 1857 में मानी जाती है, किन्तु इसके पहले ही वर्तमान झारखंड राज्य के संथाल परगना में 'संथाल हूल' और 'संथाल विद्रोह' के द्वारा अंग्रेज़ों को भारी क्षति उठानी पड़ी थी। सिद्धू तथा कान्हू दो भाइयों के नेतृत्व में 30 जून, 1855 ई. को वर्तमान साहेबगंज ज़िले के भगनाडीह गांव से प्रारंभ हुए इस विद्रोह के मौके पर सिद्धू ने घोषणा की थी- करो या मरो, अंग्रेज़ों हमारी माटी छोड़ो। उक्त बाते कहते हुए झा0वि0मो0 सदस्य मो0 शाहिद इकवाल कहा की संथाल विद्रोह के इन नायकों ने जल जंगल जमीन की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था। आज के दौर में जबकि लोग हमारे पूर्वजो की संघर्षमय बलिदान को भूल रहे है ! ऐसे महान क्रांतिकारी के नक्श-ए-कदम पर चल कर उनके कुर्वानी को जिवंत रखा जाए ! ताकि हमारी आनेवाली पीढ़ी हमारे पूर्वजो के संघर्ष व वलिदान को याद रखे !
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नेक्स्ट न्यूज़
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साहिबगंज 11 /07 /2017 एल० सी० रोड स्थित जामा मस्जिद में साहिबगंज जिले के सभी 119 हज़ यात्रियों को प्रक्षिशण दिया गया ! जिले से इस बार 43 महिला व 76 पुरुष हज़ यात्रा पर जाएंगे ! इस मौके पर राज्य हज़ कमेटी के ट्रेनर हाजी अबुल खेर ने कहा की हज़ एक अज़ीम फ़रीज़ा है ! जो इस्लाम धर्म के साहेन निसान उन पर फ़र्ज़ है है के पहले दिन मक्का में तबाफ करने के बाद अरफ़ात (मैदान)जाना होता है कुर्वानी देना शैतान को कंकड़ी मरना हाजी शफीक आलम ने हाजियो को कैसे मक्का-मदीने में 40 रोज़ गुज़ारने है उस बात की पूरी जानकारी दी !
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हज़ कमेटी व्यस्थापक मु० अनवर अली ने बताया की रांची एयरपोर्ट पर उड़ान भरने से पहले आप को क्या-क्या सामान ले जाना है हर हाजी को दो बड़े बैग जो 22 इंच का गले में लटकाने वाला बैग जिसमे आपके आने-जाने का हवाई टिकट वीजा स्वस्थ कार्ड पासपोर्ट अगर आप डॉक्टर के इलाज में है तो डॉक्टर का नुस्खा से साथ साथ दवाई ! हवाई अड्डे में अरब में खर्च के लिए 2100 रियाल भी मिलेंगे l जिसने भी कुर्वानी का पैसा जमा कर दिया है वह उसे पैसे नहीं देने होंगे ! इस मौके पर हाजी शफीक आलम , शरीफुल हक़ ,हाजी मकदूम शरीफ ,हाजी कमाल मुफ़्ती अज़र हुसैन ,मुर्शाद अली ,असलम अली ,सईद एवं इक़बाल अली मौजूद थे !
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https://youtu.be/-bIQYQx9KrEसाहिबगंज 30/06/2017
झारखंड विकास मोर्चा साहिबगंज के जिलाध्यक्ष राजकुमार यादव के नेतृत्व में 30 जून को हूल क्रान्ति दिवस पर संथाल बिद्रोह के महानायक शहीद सिद्धू-कान्हू की प्रतिमा में माल्यार्पण किया गया ।उक्त श्रद्धांजलि कार्यक्रम में झा0वि0मो0 सदस्य शाहिद इकवाल व् अन्य गणमान्य मौजूद थे ! भारतीय इतिहास में स्वाधीनता संग्राम की पहली लड़ाई वैसे तो सन 1857 में मानी जाती है, किन्तु इसके पहले ही वर्तमान झारखंड राज्य के संथाल परगना में 'संथाल हूल' और 'संथाल विद्रोह' के द्वारा अंग्रेज़ों को भारी क्षति उठानी पड़ी थी। सिद्धू तथा कान्हू दो भाइयों के नेतृत्व में 30 जून, 1855 ई. को वर्तमान साहेबगंज ज़िले के भगनाडीह गांव से प्रारंभ हुए इस विद्रोह के मौके पर सिद्धू ने घोषणा की थी- करो या मरो, अंग्रेज़ों हमारी माटी छोड़ो। उक्त बाते कहते हुए झा0वि0मो0 सदस्य मो0 शाहिद इकवाल कहा की संथाल विद्रोह के इन नायकों ने जल जंगल जमीन की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था। आज के दौर में जबकि लोग हमारे पूर्वजो की संघर्षमय बलिदान को भूल रहे है ! ऐसे महान क्रांतिकारी के नक्श-ए-कदम पर चल कर उनके कुर्वानी को जिवंत रखा जाए ! ताकि हमारी आनेवाली पीढ़ी हमारे पूर्वजो के संघर्ष व वलिदान को याद रखे !
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झा0वि0मो0 सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी हक़ और माटी बचाओ कार्यक्रम 2017 ,के तहत बोरियो प्रखंड परिसर में जनसभा को संबोधित करते हुए l
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