मेरी सांस चल रही है..!
तुझे पाने की चाहत में,
मेरी रूह तड़प रही है..!
क्या करे कि किस्मत नाराज हो गयी है..!
इंतजार की तो जैसे अब हद पार हो रही है..!
ना जाने क्यों ऐसा लगता है,
की धड़कने थम रही है..!
मैं क्या करूँ इबादत,
किस रब के पास जाऊँ सोचता हूँ..!
तिल-तिल कर क्या जियूँ मैं सनम,
क्यों मर ही मैं अब ना जाऊँ..!
पर रूह में बसाकर तूझको,
भला मर भी कैसे जाऊँ..!
मेरी मजबूरियां तो देखो,
तुझे खुश रखने के अरमानों से
मैं तो रो भी अब ना पाऊँ।