20 दिसंबर 2019

रचना :- सचिन केजरीवाल

धर्म और आतंकवाद

पहले कसाई का काम करता था वो, 
अब बिस्फोट करता है
इन सब से पहले वो लूटता था, 
औरो कों अलग अन्द्ज़ में
अपनापन जता-जता कर
कार्बन की कोठरी बन गया है घर उसका
धुंधली हो गई है तस्वीर उसकी, 
उन्ही की नजरो में
जिनकी शे पर करता था वो कृत्य इतने
संलिप्त थे इन कृत्यों में जो उसके
अब सुरक्षा परिषदों का पूर्णगठन करने में जुटे है
सलाखों से फांसी तक एकजुट हो जुटे है
फिर भी सबक नही सीखा बस एक सवाल बन गया
आते है दोस्ती का दामन थामे
मगर बाद में मजबूर कर देते है
लाखों आंसू रोने
रुलाने से पहले कहते है वो
राजनैतिक दलों का मंथन करो
कैसे बचेगी जनता की दौलत,
कहाँ मिलेगा उन्हें न्याय,
फिर एक सवाल छोड़ देते है वही
बढ़ता खर्च इनपे न लादो
राजनीती का नाम परिवर्तन कर
साजिश को नई सकल देते है वो
धर्म का सच्चा स्वरूप हमे,
अपना धर्म बेच-खो कर सिखलाते है
फिर आया धरम परिवर्तन का तीसरा पक्ष 
धर्म परिवर्तन का बुखार चढ़ा कुछ इस कदर
की वो दिमागी बुखार कर गया ग़दर
हिंदुत्व को लेकर कौन कितना उग्र होगा..??
कौन नही
हिंदुत्वा कों ले कर पब्लिसिटी का पात्र बन गया वही
प्रदर्शन से पहले उन गुणों के लिए चर्चित हो गया
जिनका असल में वो मालिक ही नही
फिर भी ये कहते है वही
धर्म से श्रेष्ट बंधु नही
धर्म से बढ़ कर धन नही
=================== -२
दूर कही खो गया है,
मुखड़ा उसका
अब जो दिखता है, 
खून से नहाया हुआ
अतीत वर्त्तमान है उसका
जो भविष्य तक रहेगा,
उसके बाद भी उसको रोयेगा
उसके सो जाने के बाद भी,
किताबों के पन्ने पे जागेगा
जब भी जागेगा दुःख के सिवा किसी कों कुछ नही मिलेगा
उसके भविष्य का चेहरा ही बिगाड़ दिया है
उसके अपने अतीत ने

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हर्फ ए आखिर नाम तुम्हारा

है लबों पे आया मुहब्बत



आखरी सांस आखरी मंज़र

है निगाहों में बस मुहब्बत



चलाओ खंजर ना निगाहों से

हम तो है घायल तुमसे मुहब्बत



उठाओ नज़रे हमारे जानिब

कुबूल हमें है तुम्हारी नफरत

***********************
मेरे बाकी के शे"र कह रहे हैं


ना मुराद क्या कहेंगे "सचिन"
बहरे हैं सब चुप ही रहेंगे

पहले सुर्ख लाल था
अब पानी जैसा है लहू

जाओ जिस तट मैं मिलूंगा
क्यूं समझते मैं आवारा हूं

सांसे मेरी मुझको डस रहीं है
धीरे धीरे जां मेरी लेे रही है

नासूर हैं नाखून मेरे मुझको ही नोच रहें
क्या मिलें हैं लोग मुझको बस दुत्कार रहें

क्या लिक्खुं शेर क्या करूं शायरी
देखो खोलता हूं ज़ख्मों की पोटली

बे आबरू कर हमें खुद दिलशाद है वो
नादान बड़े है ना आस्ना हमें समझते वो

आते है सब दिल में, छोड़ जाने के लिए
क्यूं लगता है जिस्म मेरा सराय के जैसा

घिन करो समझो मुझको
ज़ख्मों का कोई बसेरा हूं

दूर रहते है सब ऐसे
जैसे कोई किनारा हूं

आते जाते मिल लो मुझसे
चौराहे का कोई फकीर हूं

लिक्खो और मिटाओ मुझे
समझो कोई लकीर हूं

मत पूजो तोड़ो मुझे
समझो कोई पत्थर हूं

हर बात को मेरी झूठला दो
मानो कोई मक्कार हूं मैं

देख कर मुझको नज़रे फेरो मुझसे
समझो मैं किसी अजनबी जैसा हूं

उठाओ और पटको मुझको
जैसे मैं कोई तकिये जैसा हूं

चिपक जाओ दीमक की तरह मुझसे
समझो मैं किसी खोखले बांस जैसा हूं

आओ काट दो जड़ें मेरी
जैसे कोई पेड़ हूं

मैं बैठा हूं पहाड़ों पर
किसी जनावर जैसे हूं
*******************

तेरी शिफा में हूँ
मेरी इमदाद तो कर
लाईलाज नही हूँ मैं
नज़र मेरी ज़ानिब तो कर

तेरी कुच्चीयों का है हर रंग बहार लिए
अपनी कुच्चीयों को मेरी तरफ तो कर

बड़ा शातिर है तू क्या जाने किसके खातिर है तू
रुक एक बार और खुदको मेरा रहनुमा तो कर

सारी कायनात तेरी बस एक "सचिन"को छोड़ दे
बड़ा ज़ालिम है ये मुहब्बत से तू इसको तोड़ दे..!

*******************

मेरे सारे शे'र खामोश है
वो सारे  शे'र ज़ख़्मी है

ज़ख़्म न तुमने दिये हैं
न तुमने दिये हैं

ज़ख़्म तो "सचिन" तुमने दिये है
अपने हाँथों से शब्दों का खंजर
मारा है तुमने अपने शे'रों को

अब वक्त आ गया है
उनके कुछ कहने का

पहला शे'र कहता है के

"ये ज़ख़्म और कहां मिलेंगे देखने को
देखलो ये मेरे प्यार का इनाम है "सचिन"

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याद है तुम्हे या भूल गये तुम
ठिठुरती रात और नवजात शिशु
कैसे तुम सबने उसे
बेआबरू कर निकाला था
कैसे भूल गये तुम
वो तुम्हारा था
या मेरा उसका पिता होना
उसका अपराध था
अब किस बात
किस हक से 
उसे बुलाते हो
नाम तक तो न 
दे सके उसको तुम
क्यूं बार-बार 
नाम उसका पुकारते हो
और हर बार
बार-बार
वही सब दोहराते हो
सारा सामान है तुम्हारे पास
एक खुशी को छोड़ कर......

*************************

हर तरफ आवाम अमन चाहती है
तुम ज़हर कानों में मत घोलो

भूख से लोग मर रहे है
तुम हथियारों की फसल न बोओ

सत्ता आनी जानी है
फिक्र इसकी तुम क्यों करो

सब कहेंगे तुम मर जाओ
तुम ज़िन्दगी पे अडे रहना

*****************
हम अलग है दुनिया से,

 इस लिए अकेले है दुनिया में
किसी के पीछे नही है हम
पीछे "हमरी' है दुनिया
देख लो मूड के एक बार दिख जाएगा कारवां
चला आ रहा है देखो कैसे
जहाँ मेरे पीछे-पीछे
क्या लगता है तुमको
क्या लगता है औरों को
क्या करना है जानकर
लोगों को पहचान कर
देखी हमने दुनियाँ सारी
देखे सारे मंजर, 
पता चल गया है हमको
नही है कुछ भी इसके अंदर
खोखली है ये दुनिया, 
एक ओखली सी है ये दुनिया
जो डाले सर अपना इस्मे नही सलामत है वो सर
क्या करना है हमको
 इस दुनिया को  जान कर
हम अलग............

***********


कल के लिए..!
रख दिया है मैंने दिल,
कल के लिए
मेरी जां को रख दिया है
तेरे लिए
इंतजार तेरा है मेरा प्यार तेरा है
मेरा प्यार तेरा है -
रख दिया है प्यार को यार के लिए
रख दिया है ..........
तड़प रहा था,मेरा दिल तेरे लिए,
भटक रहा था, रात में तेरे लिए
ढूंढता फिरे ये कहाँ तुमको,
न पूछो यार रहने दो ये भी
 कल के लिए
रख दिया ....
मेल में,रेल में,
बस में ,कार में,
हर जगह बेकार में,यु ही तेरे प्यार में
भटक रहा था मेरा दिल-२
जाने ये कब से
रख दिया ....

*****************
आदमखोर क्यूँ हो गये,

 हम फिर से आदमी!
आदमयुग में जाने लगे, 
 हम फिर से क्यूँ आदमी!
योजनाए जागरूकता की परोपकारो की
भूलने लगे, हम क्यूँ आदमी!
कही कहावतों कों छोड़,
चलने लगे, हम क्यूँ आदमी!
वेद-पुराणों कों डायन,
कहने लगे, हम क्यूँ आदमी!
ये मैला मन, ये नंगा नाच
करने लगे, हम क्यूँ आदमी!
अंध विश्वासों के सहारे, आंसुओ में
डूबने लगे, हम क्यूँ आदमी!
करतूते इतनी घिनावनी,
करने लगे, हम क्यूँ आदमी!
अपने अहम् कों ऊपर कर
जीने लगे, हम क्यूँ आदमी!
राज्यों,प्रान्तों, में शर्मसार
होने लगे, हम क्यूँ आदमी!


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"ए बार-बार मुझको ये जताने वालो"


अहसानो का बदला तुम कब तक लोगे..?
हम मर जायेगे तो क्या ज़िंदा तुम रहोगे..??

बचाई थी जान कभी तुमने हमारी
अब ये तुम्हारी है कितनी बार कहोगे

तमाशा जो न बनाते हमारा
कसम से हम रहते तुम्हारे

जान चली जाये हमारी
तो रूह को सुकून हो तुम्हारी

जीन्दा है तुम्हारी वजह से
फजूल ये जीन्दगी हमारी..! 
***********************


हम कैसे छोड़ दे सरस्वती को,
जो कम-से-कम तो मेरी है
लक्ष्मी का है क्या भरोसा,
आज तेरी कल मेरी है
हम कैसे------
कृपावान है मुझपे ये बिद्या की देवी
कैसे किनारा कर ले हम, ये जो मेरी है
हम कैसे छोड़ ------
हूँ मैं गावर अनपढ़ सा
फ़िर भी मुझपे दयावान है
ये सरस्वती तो मेरी है
हम कैसे छोड़------
लक्ष्मी है चंचल रूकती नही है
आज इधर तो कल उधर रहती है
सरस्वती तो संग सदा मेरे ही चलती है
फ़िर छोड़ दू मैं कैसे
नाता तोड़ दू मैं कैसे
सब कहते है छोड़ दो
अपनी कलम को तोड़ दो
कहाँ जाऊंगा कर मैं ये,
घट सरस्वती का दुख्ला के
माफ़ न कर पायेगी मुझको,
ये सरस्वती जो मेरी है
हम कैसे --------

******************
पता नही क्या हुआ आज कल
पहली बार अपनी तंगहाल जिंदगी में
कुछ कमी सी खल रही है
सजा भुगत रहा हूँ मैं उसकी
जो गलती मैंने की है
अपनी तंगहाल जिंदगी में है
कुछ कमी सी खल रही 
गुनाहगार हूँ मैं ख़ुद का
पता नही कब कर दिया गुनाह मैंने
सोचा नही था कभी
जो कर दिया मैंने
सब कुछ था मेरे पास
अब कुछ नही है मेरे पास
ऐसा क्या कर दिया मैंने
होठो से हसी, आँखों से पानी
भी तो खो दिया मैंने
मैं किसी का कोई नही
है कोई जिसको हमपे यकीं नही
ऐसा क्या कर दिया मैंने
पहली बार अपनी तंगहाल जिंदगी में 
कुछ कमी सी खल रही है..!

*************************

बहुत दिखावे करते हो तुम..!
बड़े हमदर्द बने फिरते हो तुम..!!

तुम क्यू दिखावा करते हो..?
क्यू मारे-मारे फिरते हो..??

शोख तुम्हे अच्छा बनने का..,
ईक दिन तुम्हे डूबोयेगा..!

तुम चिल्लाते रह जाओगे..,
कोइ न तुम्हे बचायेगा..!!

************************
अक्षत हूँ मैं क्षत कभी होता नही
मैं धरा हूँ, मैं गगन हूँ
भूतल में भी मैं ही हूँ
ब्रह्म मैं हूँ, बिष्णु मैं हूँ
हर जन का स्वामी हूँ मैं
टिके नही सामने दुश्मन कोई
करे जो क्षत मुझे ऐसा नही कोई
कृष्ण मुझमे, राम मैं हूँ
हा हा मैं अक्षत हूँ
रवि है मुझमे, शनि है मुझमे
हर एक का स्वरुप हूँ
विपदा में मैं साथी हूँ, संघर्ष में विकराल हूँ
मान्यवर हूँ न नश्वर हूँ
क्यों की मैं अक्षत हूँ
मैं अग्नि हूँ,मैं हवा हूँ
मैं ही तो समंदर हूँ
चल हूँ मैं,अचल हूँ मैं
कण-कण और पल-पल हूँ मैं
द्वार मैं हूँ,भीत मैं हूँ
हर जन का मीत हूँ मैं
सुख है मुझमे, दुःख है मुझमे
भवसागर तो मैं ही हूँ
हा हा मैं अक्षत हूँ
पर्थ मैं हूँ, बंधू मैं हूँ
हर लेख और निबंध मैं हूँ
ज्ञान हूँ अज्ञान हूँ,दीप और अंधकार हूँ
ज्योति मुझमे,ज्वाला मुझमे
शीत की लहर हूँ मैं
साम,दाम,दंड,भेद,हूँ मैं
हा हा मैं अक्षत हूँ
मोक्ष मैं हूँ,काम मैं हूँ
मृत्यु और आकाल मैं हूँ
शुभ हूँ मैं अशुभ हूँ मैं
हर युगः का आगाज मैं हूं
सिखा है मुझमे,दिशा है मुझमे
सुख दुःख का भंडार हूँ
हा हा मैं अक्षत हूँ
अक्षत हूँ मैं ....!

**************************
पत्थरों की मजारों पर जाते हो क्यूं..??

जब लोग ज़िंदा है मर रहे यहां..!

लेटें है वो सदियों से कब्र में
जमींदोज तुम हो रहे हो क्यूं

ओढ़ाते हो चादर जिन्हे सर्द लगती नहीं
फटे हाल है जो उन्हें देखते ही नहीं

ये नहीं है ज़ुल्म तो क्या है तुम्हारा
बंद आंखे क्यूं खोलते तुम नहीं

सादाएं सुनाती है सदियां पुरानी
नई है घड़ी जिसको तुम देखते ही नहीं

ये तेरा नहीं है ये मेरा नहीं है, कहना है क्या
इन रंगों को तुम जब समझते नहीं..! 
********************
शहरे नबी में बस जाऊ मैं 

शाहे अरब की नज़र पाऊ मैं 
मौला मेरे इतना तो कर दो 
बन्दे पे अपने करम तो करदो 
खड़ा हूं बाहर मदीने के कब से 
दूर हूँ फिर भी समंदर के जैसे
मुक्कमल जहां ने किया नज़रअंदाज़ 
अपना बना लो आका मेरे मुझको आज 
अपने करम से नवाजो तुम सब को
ठीक नहीं तुम भुलादो  जो मुझको 
जब से तेरे जहां में हूं मैं,मैंने कुछ भी न पाया 
चाहा है तहे दिल से तुमको, तुम ही हो मेरे खुदाया 
न आंसू  बहाता, न मैं मजबूर हूँ 
दर पे तेरे बस मैं कमजोर  हूँ 
भर दो दम मुझपे बस इतना करम 
के रुखसत हो तेरे शहर से जाऊ कहां
सब को छोड़ आया हूँ जब मैं यहाँ..!

*************
मैं क्यूँ नज़र होऊं,

 मैं कोई पैगम्बर तो नहीं..! 
यूं न सलीब पे चढ़ाओ मुझे,
 ये कोई सलीका तो नहीं..! 
माटी हूँ मैं बस खुदाया न बनाओ 
चोखट पे रखो अपने मुझे न घर में लाओ
नहीं लायक मैं किसी-किसी लायक तो बनाओ 
सांचे में ढालो आग में तपाओ 
नहीं लायक मैं किसी-किसी लायक तो बनाओ 
हो सके तो मुझे इन्शान बनाओ 
परखी नज़रों की है जरुरत, वो नज़र तो लाओ 
पल में बना दे जो मिट्टी को हिरा 
वो तराशा हुआ सामान तो लाओ 
हूँ मैं दबा गम के तले 
कोई शाकी,पैयामाना, ख़ुशी का पैगाम तो लाओ 
बोझल इन हसी फिजाओं में एक हसीं शाम तो लाओ 
शदीयों की है शर्दिया यहाँ 
कुछ गर्मिया ले आओ 
मिल जाऊ अब मैं मिट्टी में 
कोई ऐसी नमी तो ले आओ 
मुझे पैगम्बर न बनाओ 
मुझे पैगम्बर न बनाओ..!

***************

रोता हुआ दिल नहीं

 तस्वीर चाहिए
अपना दिल बहलाने को
 रूठी हुई तकदीर चाहिए

गम में है हम सबको पता है
 फिर क्यूं रोने को बारिश चाहिए
ये मौसम तो है बादलों का
 पर सबको मेरी बर्बादी चाहिए

जिस राह को चला हूं वो राह अलग है
यहां तो सबको गम में डूबा मुशफीर चाहिए

है कारवां ये तो मुस्कराने वालों का
पता तो चले चेहरे पे किसको मुस्कान चाहिए

"हक "जौहर" का नसीब कहां सबको
"जौहर" के लिए भी नसीब चाहिए"...!

*****
पिता..!

अभी तो मना किया था
 अभी मांग रहे हो
ये रोटी है मेरी जान
 कोई साज ओ समान नहीं

आंच है चूल्हे की जो
 जलते जलते जलेगी
जब मैं जलूंगा तो ही
 तुम्हारे लिए रोटियां सिकेगी

कद्र नहीं तुम्हे मेरी बिन भूख के होगी
 तुम्हे भूखा रख कद्र मेरी क्या खाक होगी

मैं जल रहा हूं तेरी रोटी सिंक रही है
सोच इस रोटी में लज्जत कितनी होगी..! 

*****************
'तू ऐसे जल रहा है "सचिन"
जैसे कोई भूखा पेट हो"

"सारे अफ़साने पुराने है
नई कहानी कोई लिखो"

"प्यार कि कोई हद होती है,
मुझे कहाँ किसी ने बतलाया
मैंने तो वही किया,
जो प्यार में करते है सिर्फ प्यार"

"कितना सच कहा है तुमने
देखना किसको है
कितना प्यार दिल में है
हमें तो बस अपनी
दिल्लगी से मतलब है"

खुदा करे ऐसा फिर न हो कहीँ
खुदा करे ऐसा फिर न हो कहीं

दिल जलता है तो जल जाये
दिल जलता है तो जल जाये

पर जल (पानी)बिन किसी कि जान न जाये

"प्यार नहीं करती मुझसे तो कह दो
क्या अपनी जुलफ में उलझाये हुए हो"

"मेरे सवालों का जवाब दे कोई
कहाँ किसी को फुरसत है
और किसी से सवाल करे हम कोई

कहाँ अपनी जुरवत है"..! 

**************************
शोर मत करो इतना मैं मर रहा हूं
तुम्हे के पता मैं मर के जी रहा हूं

जल रही है तीली माचिस की जैसे
देखो वैसे ही मैं जल रहा हूं

अब और क्या है बताना, मुख्तसर सा है फसाना
अपनों में हूं मैं ऐसे जैसे हो कोई बेगाना
मेरी बात खत्म यहीं पे अब अपनी तुम कहो

जिंदा हो तुम तुम्हारी आंखे तो है खुली न
जी रहे हो तुम मर मर के कहो ये सच है, है न

कौन है अपने कौन बेगाने पता है
तुमको ये तो पता होगा, है न

शोर मत करो इतना  मैं मर रहा हूं
तुम्हे  "क्या"  पता मैं मर के जी रहा हूं..!



*********************
तुम चले गये हो मुझे पता है
एक गम है
तुम नहीं आओगे मुझे पता है
एक गम है

जाना था चले जाते
जाते जाते कह जाते

बिन कहे गये हो 
एक गम है

राह निकलती कहाँ है कोई
अब के मैं गम से निकलु
ये भी एक गम है

एक प्यार ही तो माँगा था
प्यार से दुतकार कर देते

जिंदगी नरक तो रहती
तुम प्यार से याद आते

अब भी प्यार करता हूँ
गर न किया तो
ये नरक कैसे भूगतुंगा
जो तुमने दिया है
पर तुम कब मानते हो ये
तुमने दिया है 
ये भी एक गम है..!
******************
इतनी सिद्धत से किसने पुकारा है
दिल जार-जार हुआ हमारा है
इस कदर कोई प्यार तो नहीं करता तुम्हे
फिर ये कौन है जो तुम्हारा है

हजार रंग है ए भूख तेरे
तू सड़कों पे भी है
तू महलों में भी है

पहले भी भूखा सोता था
अब भी भूखा सोता हूं
पहले रोटी नहीं थी
अब तुम नहीं है..! 

*******************

ये तो तस्वीर है साहेब हकीकत पर क्या गुजरेगी

जरा सोचो ये सच हो जाये तो नफरत क्या करेगी

ये जो खोले बैठे है दुकानें धर्म के नाम की
इन ठेकेदारों की रोटी कहां कैसे सिकेगी

तन्हा भटकते भटकते
भीड़ का हिस्सा हो रहा हूँ
पेट भूखा है फिर भी
कोई किस्सा हो रहा हूँ

जा चली जा सांझ हो गई 
दिल हूम हूम करता है
देख रात हो गई 
कहने वाली बात ना कह सकी
और ये पगली सुबह हो गई

तुम एक युग हो मैं समय हूं
उंगलियां सदियों थामे हुए
दिखते है संग संग भटकते हुए
राहें आसान सी कब थी अपनी
जब भी मिले हमें नसीब से अपने
हर रस्ते पे बंजर टीले मिले

ये तो तस्वीर है साहेब हकीकत पर क्या गुजरेगी

जरा सोचो ये सच हो जाये तो नफरत क्या करेगी..!
*****************
ये दिल 'कमबखत' कहता है के
 पत्थर बेजान होते है
पर मैं कहता हूँ के 
 ये भगवान होते है
हर हाल में मेरे साथ होते है
जब कभी हंसता हूँ तो हँसते है
जो रोता हूँ कभी तो मेरा साथ देते है
मेरे गम में गमगीं और खुशी में शरीक रहते है
जब कभी डाँट देता हूँ तो चुप चाप सुन लेते है
ये दिल भी 'कमबकत' मुझे तनहा रखना चाहता है
'कमबखत' कहता है के पत्थर बेजान होते है
पर मैं कहता हूँ के ये भगवान होते है



********************

तुम अखबारों में छपते हो
मैं तुमको देखा करता हूँ
तुम सियाही में गुम हो जाते हो

मैं तुमको खोजा करता हूँ


एक मुखड़ा
जो ये दर्द है
बड़ा बेदर्द है

सहलाता है ज़ख्मों को
आंसुओं से अपने

जो अपनों में तन्हा होंगे
वो कितने बहादुर होंगे

हर पल बहते आंसुओं में
कितने दफा वो भींगे होंगे

हर दफे में तड़पे होंगे
जीवन से कितने उबे होंगे

तुम छपते हो आखबरों में

मैं तुमको देखा करता हूं..! 

**************************
क्यूं रूठे हो तुम तुमको क्या फायदा
आओ सिखाऊं तुम्हे दोस्ती का कायदा

संग संग चले हम जब भी चले
आओ करे अब हम ये वायदा

चाहे जितना सवारों जुल्फों को तुम
उंगलियां ना हो मेरी तो क्या फायदा

तस्वीर दिल में चाहे जितनी बनालो
वो मेरी ना हो तो क्या फायदा

देखते हो चस्मे से दुनियां को तुम
मैं ना दिखूं तो देखने का क्या फायदा..! 


*******************

क्यू चिखते हो इतना कैसा ये शोर है

ध्यान देना इधर जरा इधर एक शे'र है

जो क्रूर था जो निर्दय था
उस्से कब मिलवाओगे

झूठे किस्से कह कह के
कब तक महान उसे बताओगे

लूटा जिसने हिन्द को
हाहाकार मचाया था

गजब कलम है इतिहास तुम्हारी
तुमने उसे फिर भी महान बताया था..!
***********************
तुम झूठ कहो हम सच मान लेंगे

तुम चुप भी रहो हम सब जान लेंगे

यूं ही आशिक़ नहीं है तुम्हारे
दिल दिया है जब तुमको
जान मांगो अब जान देंगे

ये शाम की पेशानी पे परेशानी कैसी है
तुम मिलने नहीं आए इसमें हैरानी कैसी है
आदत है ये हुस्न की ज़माने को बता देंगे

बेइंतहा मुहब्बत है भाई
छुपाना कैसा शर्माना क्यूं
इस फलसफे को आशिकों में चला देंगे

मशहूर हुए जाते है घड़ी घड़ी
तुम्हारे इम्तिहान में
इसी इम्तिहान में जान लगा देंगे

तुम झूठ कहो हम सच मान लेंगे
तुम चुप भी रहो हम सब जान लेंगे

************************

झूठा डर लगता है अब मुल्क में अपने

सच्ची मज़बूरी है के जाऊं किधर मैं

सच कहता हूं सितम कुछ नहीं इस तरफ
जा के आंधियों से लिपट जाऊं कैसे

इधर तो इब्तिदा है खामोश वस्ल की
उधर शोर ए इंतहा हो रही हैवानियत की

पुर सुकूं है इधर मुझे मालूम है
नालायक एक ये दिल है जो मानता नहीं

धड़कने बेजार हुई जाती है उधर के नाम से
एक ये ज़ुबान है कमबख्त जो खुलती है उधर के नाम से

आओ बराबरी करते है दोनों तरफ की चीजों में
सूरज एक चंदा एक फिर हवाएं क्यूं बदली बदली

रंग एक सा लहू एक सा फिर नस्लें क्यूं बदली बदली
आसमां एक ज़मीं एक सी फिर फसलें क्यूं बदली बदली

इधर हम अनाज उगते है उधर वो बंदूकें
फिर क्यूं झूठा डर लगता है मुल्क में अपने

*************************
मोदी बैकफुट पर आए नजर.., पार्टी अपने आस्तित्व में वापस..!
भाजपा में अब मोदी बैकफुट पर दिख रहे है ऐसा लगता है मानो खुद मोदी ने पार्टी को अपने से एक कदम आगे कर दिया है, जिससे जनता अब पार्टी को मोदी से नहीं पार्टी के आस्तित्व से पहचाने कम से कम आज साहेबगंज में प्रदेश के मुख्यमंत्री के एक कार्यक्रम से तो ऐसा ही प्रतीत होता दिखा, इस कार्यक्रम में मोदी कि तुलना में मुख्यमंत्री, विधायक और पार्टी के नाम के नारे ज्यादा सुनाई दिए, जनता में सीधे-सीधे संदेश गया के पार्टी अब सिर्फ मोदी प्रधान पार्टी नहीं रह गई।
वैसे इसमें कोई बुराई भी नजर नहीं आती अब तक ऐसा लगता था मानो पार्टी सिर्फ मोदी तक सिमट कर रह गई है, पर अब आज ऐसा लगा कि मानो पार्टी और पार्टी के मंत्रियों और कार्यकर्ताओं का भी पार्टी में अपना कोई आस्तित्व है, अगर देखा जाए तो ये पार्टी के लिए एक बड़ी उपलब्धि भी है जहां पार्टी का मुखिया खुद को बैकफुट पर ले जाते हुए पूरी पार्टी और पार्टी के कार्यकर्ताओं को स्वयं से आगे करता है, एक अच्छे नेतृत्व की यही पहचान भी है।
अब तक बहुत से लोगों के मन में सवाल था के मोदी के बाद क्या?  और शायद यही सवाल स्वयं मोदी के मन में भी था जिसका जवाब आज की जनसभा में मिला के मोदी के बाद नहीं मोदी के रहते ही पार्टी अपने आस्तित्व में पूरी तरह से है।
आज इस जनसभा में जनता के बीच बांटे गए बुकलेट में भी मोदी कम और मुख्यमंत्री ज्यादा दिखे, जिसका मतलब साफ है कि अब मोदी की जगह पहले पार्टी फिर कार्यकर्ता पार्टी की पहली पंक्ति में है।
अब देखना ये है कि आने वाले अगले चुनाव जनता इसे किस तरह लेती हैै और इसका क्या प्रभाव पड़ता है, हलांकी इस बदलाव के और भी कई कारण हो सकते है जो वर्तमान समय दिख नहीं रहे है या फिर अभी उनके बारे में कुछ कहने लिखने का समय नहीं आया है, पर एक बात स्पष्ट है कि इस बदलाव ने वाकई राजनीत कि समझ रखने वालों को आश्चर्य में डाला है।

जानकारों की मानें तो अगले चुनाव को मोदी अपने बूते कम और पार्टी के बूते ज्यादा लड़ना चाहते है अभी तक मोदी ने सभी चुनाव अपने बूते जीते है पर अब उन्होंने अपना भार पार्टी कार्यकर्ताओं के कंधों पर डाल दिया है।
**************
तेरे नैनों की भाषा,

 मैं कैसे समझूं श्याम..!
तुझे सारे जग की चिंता,
 मैं कैसे मानूं श्याम..!!
मैं कैसे मानूं श्याम, 
 मैं कैसे मानूं श्याम..!

छोड़ दिया तूने मुझको,
 जीवन भंवर में अकेला श्याम..!
दुखों का अब डेरा है ये तन,
 तू देखले मेरे श्याम..!!
देखता है चिंता तू सबकी,
 मैं कैसे मानूं श्याम..!
मैं कैसे मानूं श्याम, 
 मैं कैसे मानूं श्याम..!!

ना ही तेरा माखन खाया, 
 ना ही तेरी मुरली तोड़ीं
ना तेरी गोपी को छेड़ा,
 फिर कैसी सजा ये श्याम..!
देखा है कभी मुझको भी तूने,
 मैं कैसे मानूं श्याम..!
मैं कैसे मानूं श्याम..!!
 मैं कैसे मानूं श्याम..!!

तुम कहते हो तुम सब हो तुमसे ही है ये सब
चक्र तुम्हारा चलता है इस जीवन से उस जीवन तक
भव सागर भी तुम ही हो मैं कैसे मानूं श्याम
मैं कैसे मानूं श्याम, मैं कैसे मानूं श्याम

******************
रोटी भूख क्या होती है,

 अमीरों से क्या पूछना..!
पूछना हो जब भी,
 जरूरतमदों से पूछना..!!

मैं दे नहीं सकता,
 रोटी लिक्ख सकता हूं..!
तुम कह नहीं सकते,
 भूख सुन सकते हो..!!

फायदा ही क्या होगा,
 लिखने का सुनने का..!
भूख तो फिर भी कायम है,
 गरीबों के पेट में..!

कोई नहीं है उनका,
 जो दर दर फिरते है..!
बेचारे रोटी की खोज में..!!
*****************
हम न आए दिल में तेरे
और न ख्याल ही आया
हमारे दिल में तुम जो हो
इस बात पे भी गुमां न आया
तुम न आए मेरे जहाँ में
हम तुम्हारे हो गए
हमारी दुनिया सुनी सही
जो तुम्हारी दुनिया है सजी हुई
बर्बाद हसरत है अपने दिल की
जो तुम न आए तो कुछ नही
दोस्त-दोस्त कहते-कहते
भूल गए कब ख़बर नही
हम न भूले न भूलेंगे तुमको
कह रहे सच झूठ नही
संग तुम्हारे है एक दुनिया
साथ मेरे कोई नही
चलता हूँ साये संग तेरे
मेरा साया कही नही
सोचते हो सब देखता हूँ
पर इन नजरों में अब कोई नही
पता है हमको हो दूर तुम हमसे
आश भी मेरे नजदीक नही
हम न आए दिल में तेरे
और न ख्याल ही आया..!!
*************
तुम मुस्कराते हो,
हमें तकलीफों में देख कर..!
हम मुस्कराते है, 
तुम्हे मुस्कराते हुए देख कर..!!

मलाल नहीं है हमें,
तुम्हारी चाहत जान कर..!
बस तुम मुस्कराते रहे,
हमें तकलीफों में जान कर..!!

सांसे मेरी चलती रहे,
तकलीफों की रह गुजर..!

हम मुस्कराते रहे,
तुम्हे मुस्कराते हुए देख कर..!!

*********************

कुछ लोग अभागे होते है कुछ लोग बेचारे होते है
इस दुनिया में मेरे जैसे ना जाने कितने मारे-मारे फिरते है

कुछ प्रीत के मारे होते है
कुछ रीत के मारे होते है
दर्द भरे दर्दीले गीत के मारे होते है

कुछ लोग अभागे होते है कुछ लोग बेचारे होते है
इस दुनिया में मेरे जैसे ना जाने कितने मारे-मारे फिरते है

वीरानी में फिरते है तन्हाई में जीते है
चौखट-चौखट अपनों के मारे-मारे फिरते है

मेरी तरह क्या जाने कितने है
अपने ही घरों में गैरों की तरह जीते है

***********************
उतर आए हो अब सड़कों पर

तो उतरो
बुलंद करो आवाज़ इतनी के
या तो हम बदनाम हो
या तुम बदनाम हो

क्यूं नंगे होने पर उतर आए हो भाई
चाहो तो कपड़े मुझसे उधार लो

फायदा क्या होगा तुम्हे,
मेरी किताबें जलाने का
मैं सामने हूं तुम्हारे,
चाहों तो मुझे जला लो

बस धोखा है नज़रों का,
देख नहीं पाए हो तुम
वरना मैं अंदर से,
जला हुआ ही हूं
चाहो तो मेरी जानकार,
सभी आत्माओं से पूछ लो

जिन टूटी फूटी गलियों से,
गुजर कर तुम आए हो
वो गलियां नहीं,
पगडंडियां है मेरी,
हर किताब की
जलाने से पहले एक बार,
शफे पलट के देख लो

नवाज़ती नहीं है कुदरत यूं ही,
किसी को पहले शफे के लिए
गर तस्सली ना हो तो,
तुम भी कोई किताब लिख कर देख लो

***************
क्यों पूजे हम तुमको, 

क्यों माने भगवान्..!
दिया है क्या तुमने हमको, 
बना दिया शैतान..!!
क्यों पूजे ----
आज नही, कल का नही, 
कभी का नही है रिश्ता अपना,
हो कहाँ तुम, 
मुझको दिख जाओ भगवान..!
क्यों पूजे----
नही हो तुम मेरे अपने, 
पुरे किए नही कोई सपने,
फ़िर हो कैसे तुम भगवान..!
क्यों पूजे -----
दुःख दिया है, दर्द दिया है,
कर दिया जीवन को शमशान..!
तकलीफों में जीते है हम, तुम कैसे हो भगवान..!
क्यों पूजे---
पत्थर हो तुम, माटी हो, नही है तुम में जान..!
क्यों पूजे----
इस दिल को तुने जला दिया,
सब कुछ तुने खाक किया,
अब रहा नही मैं इन्सान..!!
क्यों पूजे ----

*********************
मैंने तुमको देखा है,मेरे भोले भगवन 
मिलने मुझसे आते हो ख्वाबों में तुम हरदम
तुम अच्छे हो,तुम सच्चे हो
तुमसे है ये जीवन
मुझको बनाया है तुमने,और बनाया जमी ये गगन
मैंने तुमको-----

दिल में हो तुम बसे हुए,मन में हो तुम सजे हुए
हर जगह हो तुमको ही, तुम हो बस हर जगह
मेरे भोले भगवन
मैंने तुमको -----

कभी-कभी तुम रूठ जाते हो मुझसे
अभी भी तो तुम रूठे हो मुझसे,
मान भी जाओ,अब जिद छोड़ो -२
मेरे प्यारे भगवन
मैंने तुमको---

दुःख में और चिंता में साथ रहो तुम हरदम
इतनी कृपा करो हमपे रहे हर तरफ़ खुशियो का मौसम
मैंने तुमको देखा है .........


*******************
तुम मुस्कराते हो हमें तकलीफों में देख कर

हम मुस्कराते है तुम्हे मुस्कराते हुए देख कर

मलाल नहीं है हमें तुम्हारी चाहत जान कर


बस तुम मुस्कराते रहो हमें तकलीफों में जान कर

सांसे मेरी चलती रहे तकलीफों की रह गुजर


हम मुस्कराते रहे तुम्हे मुस्कराते हुए देख कर


******************
जब मैं बड़ा हो जाऊंगा
एक छोटी गोली लाऊँगा

देश में जो बढ़ रही है
महंगाई, बे-रोजगारी
सबको मैं खा जाऊंगा

तब न कोई दुखी होगा
देखना तुम एक दिन
ऐसा ही होगा

हर तरफ हरियाली होगी
मरता हुआ न किसान होगा
देखना ऐसा एक दिन लाऊँगा

सूरज होगा चंदा होगा
बच्चों के खातिर 
मांगने वाला न कोई चन्दा होगा

सबकी थाली में रोटी होगी
चाँद को न कोई
रोटी समझेगा

देखना एक दिन ऐसा लाऊंगा

********************


********************
क्यूं बंधे हम रहे फिजूल की डोर से

तुम हमे छोड़ दो, हम तुम्हे छोड़ दे
इश्क जब कभी था ही नहीं
क्यूं दुखाए अपने अपने दिल को
तुम मेरा तोड़ दो हम तेरा तोड़ दे

ख्वाब देखता है ये मन जाने क्यों
ख्वाब में जब साथ हम होते नहीं
आंख सोती है क्यूं कोई पूछो जरा
चलो नींद अपनी-अपनी हम तोड़ दे 

कैसी है ये सिलवटें बिस्तर पर
रात भर जब हम सोए ही नहीं
भोर हो गई पर रात गुजरी नहीं
फायदा ही क्या इन बिस्तरों का
इन बिस्तरों को कहो तो समेट दे

महफूज हो तुम दीवारों में
अब तुम्हे मेरी जरूरत नहीं
मेरी बाहों का अब क्या फायदा
इन बाहों को दिल कहे तोड़ दे

************************
बात करोगे तो बात बढ़ेगी..!
वरना किसी कोने में पड़ी मिलेगी..!!
उम्र तो घटेगी ही बेचारी बात की
साथ में तन्हा भी रह जाएगी..!

तो, आओ करते है हम मिल-बैठ कर बात....
आंख की, नाक की, हाथ की, पाव की, पेट की,
पेट के आग की, भात की, रोटी की,
तपती सड़क नंगे पाव की,
बिन छत के बरसात की,
खाली जेब के मेलों की,
अंधेरों की, उजालों की, 
नफ़रत वाली मुहब्बत की,
गलियों में फिरते आशिकों की,
तड़पते इश्क़, भटकते प्यार की,

आओ करे उम्र लंबी अपनी हर बात की
जागती रातों की बेचैन सुबह की..!!

***********************

और भी तरीके है हमें लूटने के 

सरकार
मगर हफ्ता वसूली पर उतर आई है 
सरकार
लगा कर जुर्माने पे जुर्माना
अपना नजराना बढ़ा रही है 
सरकार
जो दिखना चाहिए कटघरे में
वो नुक्कड़ पे दिख रहे है 
सरकार
ये अच्छा है के सारे तोहमत हम पे है
और गुनाह कर रही है 
सरकार
सारा खर्च हम उठाते है भूखे रह कर
दावतों में शरीक हो रही है 
सरकार
कुछ कहो तो बदजुबानी कहलाती है
और बेईमानी पर उतर आई है 
सरकार..!
*******************
सच कहने कि सजा बस इतनी होती है
सुनने वालों को सच्चाई सुननी पड़ती है
गर तमाशा दुनिया है तमाशाई झूठे है
दुश्मनों की तरह सारे अपने हमको लूटे है
एक आह तक ना निकली उनकी
अंदर से जब भी हम से टूटे है
फक्त इश्क़ है मेरा ये

हम उनसे मुहब्बत करते है

*****************
बहस बेवजह है दोस्त
कौन आतंकी
किसकी मौत
बात बस है इतनी
इंसा आतंकी
इंसा कि मौत
आंसू तुम्हारी आंखों से भी गिरते है
आंसू मेरी आँखों से भी गिरते है
तुम्हारे दिख जाते है
मेरे छुप जाते है
तुम कलम हो
मैं तुम्हारी उंगली...!



                                                             *********************
हां एक खजाना है मेरे पास
जिसे महफूज रखने की जरूरत नही
जिसे कोई लूट नही सकता
पर अफसोस
वो खजाना मेरा पेट भी नही भर सकता
हां एक खजाना है मेरे पास
मेरे विचारों का
मेरे शब्दों का
एक यही तो है मेरे पास
मेरे ख़्यालों से कहीं गुम हो रहा है
हिन्दू और मुसलमान
अब ढूँढने से भी कही नही मिल रहा
कोई इंसान!
सब लगे हुए है
धर्म मजहब 
की लड़ाई में
कहीं खो सा गया है
मेरे ख्यालों का इंसान
बुरे फसे ज़िन्दगी में ज़िन्दगी सुनसान हुई
क्यूं किया इश्क़ तुमसे दुनियां वीरान हुई



********************

बदनाम हो गर तो सिर्फ हम ही क्यों
तुझे भी आवारा सड़कों पे आना होगा
            और बाटना ही है दिल को तो
            बराबर बराबर बटना होगा
            इत्मीनान रहे ये दिल तुम्हारा है
            सबसे पहले तुम्हे ही देना पड़ेगा
पता करो ज़रा शहर में कौन कौन इश्क़ का बीमार है
बता दो उन्हे यहां होता सिर्फ आशिकों का इलाज है
            क्यूं भूले रहते हो तुम तुम्हे मालूम हो
            एक तरफ तो इश्क़ अपना काम कर रहा है
            दूसरी तरफ सचिन तुझे ये नाकाम कर रहा है

****************
उमस्ती फिज़ा है आज कल अपने हिंदुस्तान में
कहां दिखती है वफा पहले सी कुर्बानियों में
अब गरजते है बादल सब लूटने की खातिर
अब होती नहीं वर्षा स्नेह की किसी जानिब
बना दिया है इसे एक कारखाना गमों का
रोज इजाद किया जाता है उल्लुओं का कारवां
पाप लगते तीरथ सारे बेमानी सी है भलाई
हर चेहरे पे देखो कैसी फैली है बेशर्मी भाई
कुचल रही है मानवता बन रही कमजोरी है
पढ़ता है कौन अब रक्तरंजित इतिहास को
पनप रहा इस फूल धरा पर रोज नया एक गद्दार है
खून चूसा इंसानों का अब तक अब पानी माटी चूस रहे
हरियालियों को देखो कैसे अब बंजर दीवारों में बदल रहे
गीत वफा वाले अब सारे गहने है कमजोरों के
बेवशी का आलम देख फिजाएं भी है रो रहीं
कौन लिखे खामोशी को कौन सुने अंधियारे को
हर तरफ खामोशी है हर तरफ अंधियारे है..!

***************************

वक़्त बूरा हो तो काम किसके कौन आता है
हिम्मत से जो साथ दे साथी वो कहलाता है
आसमां एक थाली है चांद उसमे रोटी है
बस तकते है रोटी को ऐसे कौन खिलता है
गुरबत का है क्या कहना बिन कहे ये आती है
वक़्त कब ठहरा है बोलो सुइयां चलती जाती है
है हवा क्यूं मध्यम सी सांसे भी मध्यम है
है लगता अब मुझको जान निकालने वाली है
जर्जर हूं बेजान हूं खाली पेट धड़ाम हूं
मुनतजीर‍‌ हूं मैं तेरा ए मुफ्लिसी तू कब जाने वाली है..!

*********************
आओ मिल के ढूंढे वो जगह
           जहां पे सूरज छिपता है
           जहां पे चंदा मिलता है
           पता करे कहाँ पे मन में
            गम का बादल छाता है
            क्यूँ ग़मों की बारिश है
              क्यूँ ये आँखे रोती है

आओ जाने हम मिल के
           क्यूँ दिल की धड़कन बढ़ती है
            साँसे क्या-क्या कहती है

                                            आओ करे तजुर्बा कोई मिल के
                                                       होगा नही कुछ ऐसा वैसा
                                                       बे-फजूल हम क्यूँ डरे

                                          आओ ढूंढे हम उस बहते दरिया को
                                                     आग पेट की जहां पे बुझती है
                                                     वो रोटी कहाँ पे सिकती है

*****************************
दूखता तन दूखी मन कौन खरीदेगा..?

नयनो से बहता पानी कौन खरीदेगा..??
ये तन ये आत्मा दूखती क्यो है भला..?
नयनो का ये पानी बहता क्यू है भला..??
तुम कहते हो
सब कहते है
क्यू कहते है बता
जख्म मेरे आंसू मेरे
सबको क्यू दिखते है बता
सितम इतना जहां ढ़ाता क्यू है
खुदा इतना रूलाता क्यू है
ए खुदाइ बता
वो गली इश्क वाली
वो कुचे प्यार के
छूट गये सब रिस्ते अपने यार से
न मिलने मे सुकून था
मजा खराब किया तुने मिल के
अब अश्क बे'जुबान बहते है और                         
आंखे हरदम रोती है
दिल मे जुनू बसता है 
सांसे मध्यम चलती है
क्या बताये सचिन
तुझे जमाना क्या समझता है
सब पागल कहते है
और खुद ही हँसते है

**************************************
बदल गये है लोग अपने जूबां बदल गई अपनो की

बूझ रहा है ये दिल मेरा सज रही दूनिया अपनो की
वे बैठे तख्त पे हमे गलीज समझते है
जिनकी खातिर हम हर चीज से बिल्खते है
तंज ओ रंज के आलम मे कोई अब कैसे मिले
क्यू कहते हो फिर सचिन तुमसे है शिकवे गिले
********************
रहना था तुम्हे जमीन पे तुम आसमान पे आ गई
मेरे हिस्से आ के ए भूख तू फिर से जवान हो गई
क्यू तकती है मेरा चेहरा मै भी तेरे जैसा हूँ 
जैसे तू भूखी है वैसे मै भी भूखा हूँ 
कुछ लोगो ने छीनी है रोटी हमारे हिस्से की
तू उन्हे जा कर क्यूँ नही लगती
गर वो दिलशाद है, तो रहे
मातम अपने यहाँ भी नही

****************
कत्ल ए आम क्यो न हो इस महिने मे
क्या ये महिना है कत्ल ए आम का
हर छूरी, हर वार पे फूलता है कातिल
सिना चाक हुआ जाता है बेचारे आम का
आम ओ खास कि पहचान किसे है
कागजो मे लिए फिरता बस बाग आम का
किसे फुर्सत सूने फरयाद हमारी
अभी तो चल रहा है महिना आम का
वो खास है तूम खास हो
क्यू खाम्खा सोचते फिरो आम का
पिस जायेगा कुचला जायेगा
जो रहेगा बनके आदमी आम का

******************************
क्यू कहते हो झूठ के जिन्दगी रूक गई

चल पड़ेगी जिन्दगी के
जिन्दगी को चप्पल पहनाओ तो सही
हां ठहर जाती है सांसे मेरी
ये भी चल पड़ेगी के
तूम सामने आओ तो सही
खुशमिजाज रहने मे सुकुन होता
चलो हम भी दिलशाद हो जाए
के पहले तूम हमे मिल जाओ तो सही
सून रक्खा है न जाने क्या-क्या
तमन्ना है सुनने कि न जाने और क्या
पर तूम कुछ फरमाओ तो सही
पहले चाँद देखा 
फिर आफताब देखा
कितना अच्छा हो गर के
तुम दिख जाओ कहीं

****************
मौत के डर से भाग के कहाँ जाओगे..!
जाओगे तो यम के तरफ ही जाओगे..!!
दूआए कितनी भी ले लो जन्मदिन कि ,
दुआओं के साथ-साथ मौत भी पाओगे..!!
कपड़ों मे क्या रखा है जो हर रोज बदलते हो ,
कफन मे ही इक रोज लिपट के जाओगे.!!
खूब लगा ली आग खुद को सिगार के बहाने से ,
जलाये तो असल मे चिता पर ही जाओगे..!!

*******************
अधूरा हूं,क्या अधूरा ही जल जाऊंगा..!
संतापों के तले अपने ढल जाऊंगा..!!
यूं हो जाए अगर, तुम मिल जाओ कहीं..!
तो मरते-मरते मैं फिर से जी जाऊंगा..!!
ये ख्वाब कैसे देखती हैं आंखे..।
तुम्हीं दिखते हो जहां तक है जाती निगाहें..!!
इन रस्तों से कह दो के तुमसे मिला दे..!
कहां है तू इन रास्तों को बता दे..!!
मयखाने बहुत है तेरे रस्ते में..!
कोई आए, मुझे तेरी नज़रों से पिला दे..!!
के लगा दो ताले मेरे इस दिल पर..!
एक तुम्हारे सिवा जिन्हें कोई खोल न पाए..।

*****************
जो जिसका हमदम है, वो एक दूजे के संग है..!
मेरा कोई हमदम नहीं, कहां कोई मेरे संग है..!!
जो रंगे हुए है चेहरे सबके, वो प्यार का रंग है..!
कहां प्यार करता है कोई मुझसे..??
कहां जीवन में मेरे कोई रंग है..??
सबके हाथों में इक हाथ है ,
मेरी अलग पहचान है..!
खामोशी से रिश्ता मेरा, अंधेरा मेहमान है..!!
तन्हाई बैचैनी, उसके दो बच्चे,
आ के जीवन में मेरे बस गए है,
बाकी सबको पता है ,
यहां इक बेनाम शायर रहता है,
जिसके पास कुछ नहीं,
ना संग हमदम है न प्यार है..!
तन्हाई से रिश्ता जिसका,
अंधेरा, खामोशी, बैचैनी जिसके मेहमान है..!
न इश्क़ है, न वस्ल है, न हिज़्र है..!

*****************
ये खँडहर होता जिस्म और अटकती सांसे,
सब तुम्हारी है..!
मैंने की है बदमाशियां जितनी भी,
सब सिखाई तुम्हारी है..!!
सफेदपोशों की संगत ना करता तो,
मैं भी रहता बेदाग,
अब जो काला हूं ये रंगाई-पुताई तुम्हारी है..!
बेअसर रही अब तक हर दुआ मेरी,
या खुदा ये तेरी कैसी खुदाई है..!!
करते जाओ खुदाई जब तक पानी ना निकले,
और अंत तक न निकले तो कैसी खुदाई है..!
कदम बढ़ाते हो गले लगाने को, पर रुक जाते हो,
कैसे दोस्त हो तुम..?? तुमने अच्छी दोस्ती निभाई है..!!