27 अगस्त 2018

निरंजन की कवितायें

आखिर उसकी भी कोई मजबूरी होगी..!
रिश्ते से ज्यादा फासलों की दूरी होगी..!!
खुद से भी ज्यादा कभी माना था जिसे,
लम्हा लम्हा कभी जाना था जिसे..!
नये बने रिश्ते को निभाने के लिए,
या यूं कहें कि अपने घरोंदे को बचाने के लिए..!
सूनी छोड़ दी आज उसनें मेरी कलाई,
आज कैसे ना उसे मेरी याद आई..!
इंतजार तो तेरा मुझे रहता ही था,
पर वक्त की बेबसी या जिम्मेदारी का सितम..!
ना तुम मुझसे मिली औऱ ना ही हम..!!
रिश्ते इतने ही बचे थे हम दोनों के बीच
सूनी नहीं रहतीं थीं कभी मेरी कलाई..!
क्या सच मे तुझे मेरी याद नहीं आई......!!