साहिबगंज:- 15/08/2018. स्वतंत्रता दिवस पर हर प्रकार के जीव हत्या पर प्रतिबंध है पर यहां तो तिरंगे के नीचे ही ऐसा हो रहा है..। यह नजारा झारखंड के साहेबगंज जिले के कृष्णा नगर का है..। किसे शर्म आनी चाहिए हमे, जो एक दिन भी अपने जीभ को नियंत्रण में नही रख सकते है या उस दुकानदार को जिसे इस नियम की कोई खबर नही है या उन लोगो को जो आते-जाते देखकर भी अंधे बने है या उन अधिकारियों को जिसके जिम्मे इस नियम को लागु करवाना है या फिर इन सबको..।
मुर्गे और बकरे भी काटे जा रहे है जनाब पर पुरी सुरक्षा में..। आप होटलो या रेस्टोरेंटो मे इसका लुफ्त उठा सकते है..। मुझे शर्म आई तो मैने आवाज उठाया यदि आपको भी आई तो आप क्या कर रहे है..।
---------------------------साहिबगंज 22/12/2017.
कंबल क्यों नहीं बदला रे.....
रंग बदला रूप बदला ,
रंग-रूप के मायने बदला,
रंगने वाला हाथ भी बदला,
रूप का संसार भी बदला,
पर कंबल क्यों नहीं बदला रे....
बिकने वाला बाजार भी बदला,
सौदागर दिलदार भी बदला,
देने वाले का हाथ भी बदला,
लेने वाले का जात बदला,
पर कंबल क्यों नहीं बदला रे.....
सार बदला सरोकार भी बदला,
चीत्कारों का रार भी बदला,
गरीबों का संसार भी बदला ,
जख्मी हाथों का आकार भी बदला,
पर कंबल क्यों नहीं बदला रे.....
देश का सरकार भी बदला,
विकास का पैरोकार भी बदला,
चाल बदला चालबाज बदला,
आंकड़ों का सुर और साज भी बदला
पर कंबल क्यों नहीं बदला रे.....
सुभाष मोदी के उत्कृष्ट रचना " कम्बल क्यू नहीं बदला रे " का मैथिल रूपांतरण निर्भीक समाज-सेवी व लेखक विजय झा ने किया l
कम्बल क्यू नहीं बदला रे का मैथिल रूपांतरण विस्तृत पढने के लिए विजय झा के फेसबुक पेज को निचे लिंक पर क्लिक करे l
https://www.facebook.com/vijayjha90
साहिबगंज 20/08/2017
ट्रेन की चपेट मे आने से दोनो पैर गंभीर रूप से जख्मी ! संतोष साह उम्र 28 वर्ष ! रेल अस्पताल ने रेफर किया !
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नेस्ट न्यूज़
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साहिबगंज 23/07/2017
पिछले 20 जुलाई को बांझी में बाइक और स्कार्पियो की टक्कर मे दो व्यक्तियों की मौत हो जाने से विद्यार्थी वर्ग में काफी शोक व्याप्त है। इसी संदर्भ मे आज शहर के चैती दुर्गा मोड़ पर स्थित बजरंग बली मंदिर प्रांगण मे विद्यार्थीयों के एक ग्रुप ने शोक व्यक्त करते हुए मृतक के तस्वीर के सामने मोमबत्ती जलाकर उनकी आत्मा की शांति की कामना की।
ज्ञात हो की पिछले 20 जुलाई को शिवम व शुभम नाम के दो युवक बाइक पर सवार व्यक्ति साहिबगंज की तरफ आ रहे थे Scorpio गाड़ी संख्या जी एच 18 6254 साहिबगंज की ओर आ रहे थे। दोनों में टक्कर हुई व घटनास्थल पर ही बाइक पर सवार दोनो व्यक्ति की मौत हो गई थी।
साहिबगंज 15/07/2017
रंग बदला रूप बदला ,
रंग-रूप के मायने बदला,
रंगने वाला हाथ भी बदला,
रूप का संसार भी बदला,
पर कंबल क्यों नहीं बदला रे....
बिकने वाला बाजार भी बदला,
सौदागर दिलदार भी बदला,
देने वाले का हाथ भी बदला,
लेने वाले का जात बदला,
पर कंबल क्यों नहीं बदला रे.....
सार बदला सरोकार भी बदला,
चीत्कारों का रार भी बदला,
गरीबों का संसार भी बदला ,
जख्मी हाथों का आकार भी बदला,
पर कंबल क्यों नहीं बदला रे.....
देश का सरकार भी बदला,
विकास का पैरोकार भी बदला,
चाल बदला चालबाज बदला,
आंकड़ों का सुर और साज भी बदला
पर कंबल क्यों नहीं बदला रे.....
सुभाष मोदी के उत्कृष्ट रचना " कम्बल क्यू नहीं बदला रे " का मैथिल रूपांतरण निर्भीक समाज-सेवी व लेखक विजय झा ने किया l
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ट्रेन की चपेट मे आने से दोनो पैर गंभीर रूप से जख्मी ! संतोष साह उम्र 28 वर्ष ! रेल अस्पताल ने रेफर किया !
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नेस्ट न्यूज़
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साहिबगंज 23/07/2017
पिछले 20 जुलाई को बांझी में बाइक और स्कार्पियो की टक्कर मे दो व्यक्तियों की मौत हो जाने से विद्यार्थी वर्ग में काफी शोक व्याप्त है। इसी संदर्भ मे आज शहर के चैती दुर्गा मोड़ पर स्थित बजरंग बली मंदिर प्रांगण मे विद्यार्थीयों के एक ग्रुप ने शोक व्यक्त करते हुए मृतक के तस्वीर के सामने मोमबत्ती जलाकर उनकी आत्मा की शांति की कामना की।
ज्ञात हो की पिछले 20 जुलाई को शिवम व शुभम नाम के दो युवक बाइक पर सवार व्यक्ति साहिबगंज की तरफ आ रहे थे Scorpio गाड़ी संख्या जी एच 18 6254 साहिबगंज की ओर आ रहे थे। दोनों में टक्कर हुई व घटनास्थल पर ही बाइक पर सवार दोनो व्यक्ति की मौत हो गई थी।
साहिबगंज 15/07/2017
सावन महीने के पवित्र अवसर पर "न्यू झारखंड युवा क्लब की ओर से साहिबगंज के "होटल अभिनव श्री " के सभागार में बच्चियों के मेहंदी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । जिसमें मुख्य अतिथि श्री अनुकूल मिश्रा जी , वरिष्ठ अतिथि श्रीमती उषा गुप्ता जी , निर्मल मोदी जी, उत्तम जी , सद्दाम हुसैन और सभी सहयोगी एवं सभी प्रतिभागी को पुरूस्कृत भी किया गया ।।
साहिबगंज 14 /07 /2017
शराब किस किस तरह से आपको नुकशान पंहुचा सकते है इसकी ढेरो बानगी अक्सर देखने सुनने को मिलता है ऐसा ही एक बानगी आज दिनांक 14 जुलाई को साहिबगंज के पश्चिमी रेलवे फाटक के पास एक अज्ञात व्यक्ति का लावारिश हालत में पड़ा शव के रूप में देखने को मिला.
वहां उपस्थित लोगो ने बताया की दिन के करीब 11 बजे ये पास ही के शराब के ठेके से शराब पीकर यहाँ नशे में धुत्त बैठा था फिर अचानक ये गिर पड़ा. जबतक लोग कुछ समझ पाते या कुछ कर पाते उससे पहले ही इसकी मौत हो चुकी थी. लोगो ने बताया की ये कौन है या कहा से आया है ये पता नहीं है और न ही वहां उपस्थित किसी चश्मदीद ने भी उस मृत व्यक्ति की शिनाख्त नहीं की ! समाचार प्रेषित किये जाने तक इस व्यक्ति की शिनाख्त नहीं हो पाई है और ना ही मौके पर कोई पुलिस पहुंची थी ! ज्ञात हो की 11 बजे से लावारिश हालत में साहिबगंज के पश्चिमी रेलवे फाटक केबिन परिषर के अंदर पड़े इस शव का सुध शाम के 4 .30 बजे तक किसी प्रशासनिक अमले ने नहीं ली है.साहिबगंज 02 /07 /2017
ओस की बून्द...।
बेटी कान छिदवाई थी। पता नही क्या मन मे आया उसके ! एक दिन उसकी मां बाजार गई थी तो वहां से उसने गुलाबी रंग के गले और कान का मोतियो का सेट लेते आई। गुलाबी रंग पसंद था उसे। बस फिर क्या था , बगल के सुनार के पास गई और कान छिदवा ली। लेकिन फिर जैसा होता है वही हुआ ! कान पक गया l किसी ने बताया था की घास पर जमा होने वाली ओस की बुँदे इसमें बहुत काम आती है l शायद कान का घाव तुरंत भर जाता है l बस फिर क्या था मैं सुबह सवेरे उठ कर गाड़ी निकाला और चल पड़ा ओस की बून्द तलाशने l टाउन हॉल के पीछे के मैदान में गया पर वह कुछ पता ही नहीं चला l मैंने सोचा कि घास में पैदल चलता हूँ जहा कही भी ओस होगा तो मेरे पैरो में लग जायेगा और मुझे पता चल जायेगा पर पूरा मैदान चलने के बाद भी एक बून्द ओस का नहीं मिला. फिर मैं पुलिस लाइन, पुलिस कवार्टर, गंगा विहार पार्क, पहाड़ी मैदान, स्टेडियम और रेलवे जेनरल इंस्टिट्यूट के मैदान में भी चक्कर मार लिया पर शायद ओस की दो बून्द मुझे नहीं मिलना था सो नहीं मिला l लेकिन आखिर ऐसा हुआ कैसे ? गर्मी के दिन भी नहीं है ! अच्छी खासी ठण्ड पड़ रही है ! इसके बाद भी ओस का नहीं मिलना क्या साबित करता है ? काफी सोच विचार करने पर एक बात पता चला की हर ओर घास का रंग पीला या लाल था यानी घास तो था ही नहीं l मतलब घास तो था , लेकिन वो मृतप्राय: था !
मन बड़ा व्याकुल हो गया l ये प्रदुषण के कारण है या कुछ और यदि अभी ये हाल है तो आने वाले कुछ सालो के बाद क्या होगा ! कुछ बड़े लोगो के गार्डन में हरे हरे घास मिल भी जाते है तो क्या अब घास भी सामाजिक स्तर बताने वाला वस्तु हो गया है ? मोबाइल के रेडिएशन के कारण पक्षी मर रहे है, मृदा प्रदुषण के कारण पेड़ पौधे ख़त्म हो रहे है. सवाल ये है कि हम कहा जा रहे है ? ये तरक्की कि निशानी है ! पैसो में आंके तो शायद हां ! क्योकि ,पैसे वालो ने तो हर चीज को केवल शो-पीस बनाकर रख दिया है ! लेकिन क्या यही सच्चाई है ? ये सवाल कौन करे और किस्से करे ? शायद ये आधुनिकता और विकास के अंधी दौड़ का मलबा है , जिससे एक दिन पूरा विश्व भर जाएगा !