31 मई 2018

आलेख :- रेणुका मुर्मू

साहिबगंज:-31/05/2018.मदनशाही पंचायत भवन बोरियो में विश्व पर्यावरण दिवस से पहले स्वच्छता सप्ताह के रूप में गंगा ग्राम को स्वच्छ रखने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया।जिसमें मुख्य अतिथि जि०प० अध्यक्ष रेणुका मुर्मू ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया..। स्वच्छता शपथ के पश्चात पौधारोपण कार्यक्रम किया गया तत्पश्चात माँ गंगा की आरती की गई। 

मौक़े पर बोरियो प्रखंड बीस सुत्री अध्यक्ष, प्रखंड विकास पदाधिकारी बोरियो,प्रो०डॉ०रंजीत कुमार सिंह, मदनशाही मुखिया, एन० एस०एस० के छात्र उपस्थित थे..।

 गीत-संगीत कार्यक्रम एन०एस०एस० के छात्रों द्वारा किया गया।

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साहिबगंज:-26/05/2018.
स्वच्छ भारत के तहत बरहेट हाट बाज़ार परिसर एवं स्वास्थ्य केन्द्र बरहेट परिसर में जिला परिषद अध्यक्ष के पहल एवं सहयोग से NTPC के सौजन्य से सफ़ाई अभियान चलाया गया।स्वच्छता हमारे जीवन को एक स्वस्थ वातावरण देता है इससे दिनचर्या में शामिल करने की ज़रूरत है जब तक हमारे सोच में स्वच्छता नहीं रहेगा तब तक हम जितना भी कार्यक्रम कर लें वह सफल नहीं होगा ।स्वच्छ वातावरण  हमारे आनेवाले पीढ़ी को स्वस्थ्य तन स्वस्थ्य मन से परिपूर्ण रखेगा डॉक्टर का कहना है कि बच्चों का मानसिक विकास 5 वर्ष तक ही होता है इन वर्षों में जितना शुद्ध माहौल मिलेगा बच्चों को वही उसका भविष्य  तय करेगा।

गंदगी हमारे जीवन में प्रतिकूल प्रभाव डालती है और हमें पता नहीं चल पाता।
इसके लिए किसी कार्यक्रम की आवश्यकता नहीं पड़ती बल्कि स्वंय ही सफ़ाई के प्रति जागरूक होना पड़ेगा । फिलवक्त ग्रामीण हाट बाज़ार में अत्यधिक गंदगी का अंबार मिलता है लेकिन इस ओर सरकार का ध्यान नहीं जाता, पहले बाज़ार समिति के अन्तर्गत हाट बाज़ार था जिससे सफ़ाई से लेकर बाज़ारों को समिति से ही विकसित किया जाता था,अब स्थिति उलट है ग्रामीण हाट बाज़ार को अब भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।
कृषि विभाग में ही  ग्रामीण हाटबाजार अधिकृत किया गया है लेकिन दिशानिर्देश और फ़ंड से वंचित रखा गया है।पहले बड़े हाटबाजार को निलाम कर उससे राजस्व की वसूली की जाती थी और उस राशि से हाटों को व्यवस्था दी जाती थी।लेकिन अब तो करोड़ों के राजस्व का भी नुक़सान हो रहा है और गंदगी का अंबार सो अलग।एक ओर हम सफ़ाई को लेकर कई तरह के योजनाएँ ला रहे हैं और दुसरी ओर इस ओर सरकार का ध्यान नहीं जाता है।
हमने बहुत प्रयास किया था कि ग्रामीण हाट बाज़ार जिला परिषद को दिया जाय जिससे राजस्व वसुली के साथ साफ़ सुथरा किया जा सके लेकिन अब तक दिशा-निर्देश ना मिलने से कुछ कर पाना असंभव सा प्रतीत होता है। लेकिन सरकार को इसपर ध्यान देने की आवश्यकता है।
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साहिबगंज:-24/05/2018. 
आज बहुत गंभीर मुद्दों से सामना हुआ और सोचने पर विवश हुँ कि आख़िर आज के राजनीति की क्या परिभाषा है।हम किस ओर जा रहें हैं।हमेशा से यही लगता आया है कि झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव तो हुए हैं लेकिन अभी तक सत्ता का हस्तांरण नहीं किया गया है और इस तरह महात्मा गांधी का स्वराज की कल्पना बेकार सिद्ध हो रही है।आज मैंने प्रजातंत्र का वो रूप देखा जिसपर से प्रजा का विश्वास उठ जाये।पिछले कुछ दिनों से बंगाल के पंचायत प्रतिनिधि जान बचाकर पलायन कर साहेबगंज के मारवाड़ी धर्मशाला में दिन काट रहें है उनकी ग़लती बस इतनी है कि वो ग्राम पंचायत,पंचायत समिति,जिला परिषद जीतकर आयें हैं।
सबसे अहम विषय कि 50 प्रतिशत महिलायें जीतकर आयीं हैं। लेकिन महिलायें जीत का जश्न नहीं मना रहीं हैं क्योंकि उसको उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दी जा रही है कई प्रतिनिधियों को तो लहुलुहान मार कर ज़ख़्मी किया गया है लेकिन वर्तमान बंगाल की सरकार (गाँव की सरकार) पंचायत प्रतिनिधियों का भयानक अपमान कर रही है।बंगाल सरकार मौन है और आँखों में पट्टी बाँध कर विषयवस्तु को अनसुना कर रही है ।जहां केन्द्र की सरकार महिलाओं के सुरक्षा को लेकर कई योजनाएँ चला रहीं हैं वहीं बंगाल की सरकार महिलाओं पर अत्याचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही ताजुब्ब होता है ऐसी शासन व्ववस्था पर ।सरकार की व्यवस्था का आलम यह है कि पुलिस प्रशासन द्वारा भी इन पंचायत प्रतिनिधियों पर दबाव डाला जा रहा है कि वह जीते हुए पार्टी को छोड़कर अन्य पार्टी में विलय करे।यह आने वाले दिंनों के लिए ख़तरे की घंटी है कि जब गाँव की सरकार ही सुरक्षित नहीं है तो जनता किस प्रकार सुरक्षित रहेगी।मुझे याद है जब मैं पंचायत चुनाव जीतकर आयी थी तो पता चला कि झारखंड में पंचायत व्यवस्था नग्णय है सब ओर यहीं चर्चे होते थे कि बंगाल में पंचायत ब्यवस्था काफ़ी मजबुत है उनके तर्ज़ पर झारखंड को भी इस गाँव की सरकार को सुदृढ़ करना चाहिए।अब वहाँ इस तरह पंचायत प्रतिनिधियों का अपमान काफ़ी कुछ सोचने को विवश करता है।इससे वर्तमान सरकार की विफलता कहें या सरकार की दबंगई जो जनता  पर रोब दिखाकर उसपर अपना शासन थोपना चाहती है।अगर राज्य की सरकार इस तरह हो तो वहाँ  की जनता तो भगवान भरोसे...!
 कई आदिवासी महिलाएँ एवं ग़ैर आदिवासी बहनें चिंतित है कि उन्होंने चुनाव में भाग लेकर सबसे बड़ी ग़लती कर दी आज सबकी जान खतरें में हैं।जहाँ एक ओर आदिवासी जनजाति एवं ग़ैर आदिवासी को सीधे संरक्षण देने की बात केन्द्र सरकार भी करती है आज इनकी व्यथा सुनने वाला कोई नहीं आ रहा है ।आख़िर कब तक यह अन्य राज्य में रहेंगें कभी तो घर वापसी करेंगें तब क्या होगा ?कौन सुनेगा इनके बात को?आज इनकी इस हाल का ज़िम्मेदार कौन है ? और यह किस हद तक जायज़ है !!!मेरी पुरी संवेदनाएँ इन पंचायत प्रतिनिधियों के साथ है ।मैं इनके लिए कुछ ना कर सकूँ लेकिन मैं साहेबगंज के माननीय उपायुक्त महोदय से कहना चाहूँगी कि इनके परेशानियों से रूबरू होकर केन्द्र सरकार को अवगत कराये कि किन हालात में पड़ोसी राज्य के प्रतिनिधि पलायन साहिबगंज आयें हैं।और इन्हें यथासंभव मदद दी जाय प्रशासन की ओर से।
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साहिबगंज:-06/05/2018.
आज मैंनें रक्तदान  किया मुझे बहुत ही आन्तरिक ख़ुशी मिली ।मैंनें कोई बहुत अलग काम नहीं किया है बल्कि मैंने भी समाजिक कार्यों में अपनी भागीदारी निभाने की दिशा में पहल की।महिला होने के नाते रक्तदान जैसी यह कोशिश कई मायनों में प्रेरक हो सकती है।कई मिथ्याएं मिट सकती है ।
सबों को यह मालुम तो है कि अधिकतर महिलाएँ एनिमिक/रक्त की कमी की शिकार होती है जिसके कारण कमज़ोर होती है लेकिन वह अपने कार्यों अपने हौंसलों को कभी कमज़ोर नहीं होने देती।
वह निरंतर अपने कार्यों को समर्पित ढंग से करती जाती है।अगर गर्भ धारण से लेकर शिशु के जन्म तक माँ को विशेष आहार दी जाय तो जच्चा बच्चा दोंनों ही सुरक्षित रहेंगें ।लड़का लड़की के लिंगभेद को समाप्त करने के लिए ये आवश्यक है कि बेटियों को विशेष ख़ानपान के आहार दिये जाय जिससे रक्त की कमी ना होने पाये।
महिलाओं को 5 दिवसीय मासिक चक्रों से गुज़रना होता है जिसके कारण भी रक्तअल्पता की शिकायत हो जाती है।लेकिन इस दौरान भी अपने  कार्यों पर प्रभाव नहीं आने देती।जबकि डॉक्टर का कहना है कि किसी व्यक्ति के शरीर से लगातार खुन का स्राव होने का मतलब है उसकी जान को ख़तरा है।
लेकिन एेसे दौर से गुज़रने के बाद भी महिलाएँ काम करती रहतीं हैं।इसके लिए मैं तमाम नारी को नमन करतीं हुँ,मैं सबसे यही अपेक्षा करती हुँ कि बेटियों को सही खानपान दें ताकि वह भी किसी ज़रूरतमंद इंसान की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहे। और दुसरी बात खुन देने से आपको कुछ नहीं होगा लेकिन आपके इक छोटी सी पहल से किसी की जान अवश्य बच सकती है ।आप सबने मेरा इतना हौसला बढ़ा दिया कि अब लगता है यह प्रयास मैं दुबारा फिर करूँगी।अगर मेरे इस काम से आपको महिला/पुरूष किसी को भी थोड़ी सी भी प्रेरणा मिली हो तो आप भी रक्तदान करें अच्छा लगेगा......!!!! आप सभों को धन्यवाद..!!आपके मेरे प्रति स्नेह को आभार!!!🙏🙏🙏
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साहिबगंज-27/03/2018.
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना  क़ुरान,गीता,बाइबिल आदि के विचारों को आत्मसात करने की आवश्यकता है।कदमा बरहेट में दो दिवसीय जलसा का आयोजन किया गया जिसमें  जिले भर के मुस्लिम समाज के लोंगों ने शिरकत किया ।कई बड़े बड़े नेताओं ने भी आकर विचारों को सुना।जिप अध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी मज़हब में बैर करना नहीं सिखाता क़ुरान,गीता,बाइबिल आदि के विचारों को आत्मसात करने की आवश्यकता है।
शिक्षा के लिए सबको आने आने की ज़रूरत है बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर बेटा बेटी के भेदभाव को ख़त्म करना होगा तभी विकसित समाज का निर्माण होगा।महिलाओं को भी स्वावलंबन के लिए सबको आगे लाने की आवश्यकता है।
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साहिबगंज:-26/03/2018
वर्ल्ड विजन की ओर से समाहरणालय सभागार में जिला पंचायत प्रतिनिधियों की तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभजिला मुख्यालय अंतर्गत समाहरणालय सभागार में वर्ल्ड विजन इंडिया की ओर से  जिला पंचायत प्रतिनिधियों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुभारम्भ माननीय जिप अध्यक्ष रेणुका मुर्मू, उपविकास आयुक्त नैन्सी सहाय, समाज कल्याण एवं बाल विकास पदाधिकारी बिनीता कुमारी, डी०पी०आर०ओ०- के०आर०नाग, लोकपाल-अब्दुल सोभान  ने किया  इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न प्रखंडो के प्रमुख पंचायतों के मुखिया एवं जिला परिषद सदस्य के 45 पंचायत प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया ।
जिसमे पंचायती राज्य में महिलाओ की सशक्तिकरण, महिलाओं और बच्चों से संबंधित योजनाओं, कानून, सार्वजनिक कार्य की निगरानी, स्थानीय प्रशासन में सूचना संप्रेषण प्रैधोगिकी का उपयोग एवं पंचायती राज्य संस्थाओं में महिलाओं को बढ़ावा देना बातों पर चर्चा की गई।

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साहिबगंज /बरहेट:-15/02/2018
राजमहल के मुंडली पहाड़ में 7 बजे शाम में सात दिवसीय भगवतकथा का उदघाटन जिप अध्यक्ष रेणुका मुर्मू  ने दीप प्रज्वलित करने के उपरांत  फीता काट कर  किया l  
विडियो देखने के लिए निचे क्लिक करे l

 जिप अध्यक्ष रेणुका मुर्मू  दीप प्रज्वलित करते हुए 
साहिबगंज /बरहेट:-14/02/2018
शिवरात्रि के अवसर पर शिवगादी बरहेट में मेला का उद्धघाटन जिप अध्यक्ष रेणुका मुर्मू और बोरियो विधायक ताला मरांडी जी ने संयुक्त रूप से किया।मौक़े पर सदर डी.एस.पी. ललन प्रसाद,राजमहल एस.डी.ओ. चिंटु दोराईं बुरू,बरहेट बी.डी.ओ.,सी.ओ.,बरहेट थाना प्रभारी सहित सैकड़ो गणमान्य लोगों की उपस्थिति थी l 
शिवगादी प्रबंध समिति के अध्यक्ष अंजीत भगत जी ने सभी अतिथियों का स्वागत शाल ओढ़ाकर किया । ताला मरांडी ने संबोधन के दौरान कहा कि मानवता से लोगों का जुड़ाव रहना चाहिए l पुजा पाठ एक माध्यम है, जिससे लोग दायरे में रहकर विवेकशील कार्य करते हैंl इसके अलावे सिर्फ़ अपने लिए ना कर सबके लिए ही हित करना ईश्वर की प्राप्ति करना है।ताला मरांडी ने कहा कि सब को मेहनत करने से पीछे नहीं हटना चाहिएl सरकार आपको योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए संकल्पित है, लेकिन इसके अलावे भी स्वंय को स्वावलंबन बनायें l
जिप अध्यक्ष ने शिवगादी के बारे में कहा कि शिवगादी का इतिहास राष्ट्रीय पटल पर है l  यहाँ साफ़ा होड़ का जमावड़ा से लगता है कि शिव के मुख्य अनुयायियों में से है एंव आज जो भी लगातार बढ़ रही भीड़ का जो विश्वास देवों के देव महादेव के लिए है वह हड़प्पा संस्कृति और आर्य होने का अनुभव देती हैl यों भी आदिवासियों के पुजन विधि का प्रयोग शोध का विषय रहा है।
संबोधन में अध्यक्ष ने कहा कि जिला प्रशासन का सहयोग एवं प्रबंध समिति के लगन और प्रयास के कारण आज शिवगादी  मंदिर की राष्ट्रीय स्तर में पहचान बहुत कम समय में बना लिया है । अध्यक्ष ने कहा कि व्यवस्था को और भी लचीलापन बनाया जा सकता है l अगर सरकार इससे पर्यटन में ले तो मंदिर के विकास की और भी ज़्यादा प्रयोग किये जा सकेंगेl इसके लिए सरकार एवं पर्यटन विभाग से एक शिष्ट मंडल जल्द ही जाएगी।ज़िला परिषद की ओर से शिवगादी को एक सामुदायिक शौचालय शीघ्र उपलब्ध करायी जायेगी।
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05/02/2018  
साहिबगंज जिले से  कई युवक युवतियाँ कामकाज/रोज़गार  की तलाश में दुसरे राज्य को पलायन कर रहें हैं।इनमें ज़्यादातर युवक युवतियों के पास रजिस्टरड श्रम कार्ड भी नहीं हैं जिनके कारण कुशल/अकुशल का उचित मज़दूरी नहीं मिल पाता है,ना बीमा किसी प्रकार का,ना स्वास्थ्य सुरक्षा ही मिल पाता है।
और सबसे चिंता इससे है कि अन्य राज्य को पलायन कर रहे युवा मज़दूर का कोई रिकार्ड नहीं होता प्रशासन के पास ।जिससे कई तो अनहोनी के शिकार हो जातें हैं तो कई लापता होने के कारण परिवार से बिछड़ जाते हैं वे दुबारा लौट के नहीं आ पाते। आख़िर इन सबकी खोजखबर कहाँ से ली जाय।क्या इससे भगवान भरोसे छोड़ना उचित है इसके लिए क्या प्रशासन की कोई ज़िम्मेदारी नहीं बनती?जिले में श्रम विभाग पुरी तरह निष्क्रिय है प्रशासन को इस विभाग की मॉनिटरिंग करनी चाहिए।

28/08/2017
धनबाद - उपायुक्त के वाहन के आगे कार्यालय के समीप जिला परिषद अध्यक्ष रोबिन चंद्र गोराई  ने कैरोसिन तेल और अपने प्रमाण पत्र लेकर आत्मदाह करने को अड़ गए ।

जीप अध्यक्ष ने बताया कि सिर्फ जीप अध्यक्ष का प्रमाण पत्र लेकर क्या करेंगे ड़ी सी साहब हमारे किसी भी दिए गए आवेदन पर प्रकार  का कोई  एक्शन नही लेते है मेरा कोई महत्व ही नही है ग्रामीण जनता के हक के लिए और सत्य के लिए लड़ना कोई गलत है क्या
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साहिबगंज :- 26/08/2017
बड़हड़वा   शिशुमंदिर  में  विभाग  प्रश्नमंच  प्रतियोगिता  का पुरस्कार  वितरण  के  साथ  समापन  हो  गया !
  जिसमे  चीफ  गेस्ट  जिला परिषद्  चेयरमैन  रेणुका  मुर्मू  थी .
मौके  पर  कमल  किशोर  भगत , बीरेंद्र  सिंह , ओमप्रकाश ,साहिबगंज  और  पाकुड़  जिला  के  सिद्धू  मंदिर  विद्यालय  के  प्रधानाध्यापक और   प्रमुख  उपस्थित  थे .
ओवरआल  चैंपियन  बरहरवा  शिशु  मंदिर  के  विद्यार्थी  रहे !
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नेक्स्ट-न्यूज़ 
साहिबगंज :- 20/08/2017
शिक्षा सबसे ताक़तवर  हथियार है जिससे दुनिया को बदलने में इस्तेमाल किया जा सकता है-नेल्सन मंडेला ।
बहुत ही किमती शब्द हैं अगर इससे जीवन में शामिल किया जाय।शिक्षा वो पारस है जिसको मिले उससे किसी चीज की कमी नहीं हो सकती कभी।बशर्ते कि सही और नैतिक शिक्षा मिले ।शिक्षा पाने का सभी मानव का मौलिक अधिकार है,लेकिन आज भी गांवों के सूदुर इलाकों तक शिक्षा की लौ नहीं जली है।
2011 के  जनगणना आँकड़ो के अनुसार पुरूष साक्षर 76.84,महिला साक्षर 59.04 है।आप समझ सकतें हैं कि  इन पाँच सालों में कितना सुधार हुआ होगा वैसे भी यह तो सरकारी आँकड़े है वास्तविकता से कोसों दुर।
अगर  हम इसके गहराई तक जायेंगे तो शिक्षा की वर्तमान स्थिति बहुत दयनीय है।
भारत सरकार की बहुत ही महत्वकांक्षी योजना में से एक तत्कालीन माननीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी की सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत प्रांरभिक शिक्षा को महत्वपूर्ण किया गया !
जिसके अंतर्गत 4-14 साल के बच्चों की शिक्षा को ज़रूरी बताया गया और मुफ़्त शिक्षा किया गया।शिक्षा को बढ़ाने के लिेये सभी पंचायतों में विधालय बनाये गये,विधालय और गुणवत्तापुर्ण शिक्षा की निगरानी के लिए सी0आर0पी0 ,बी0आर0पी0, बी0इ0ओ0, बी0पी0ओ0 को ज़िम्मेदारी दी गई लेकिन ज़मीनी  हक़ीक़त कुछ और ही बयां करती है।



बच्चों को विधालय से जोड़े रखने के लिये नास्ते से लेकर मध्याह्न भोजन स्कूल ड्रेस तक सरकार दे रही है जिससे बच्चे ड्रापआउट ना हो लेकिन होता उलट है बच्चों को सही ढंग से ना तो मध्याण भोजन ना तो ड्रेस मिलता है पढ़ाई की तो बात ही छोड़ दें विधालय ही खुल जाये तो बहुत है।इसके निगरानी के लिए भी यहाँ विधालय प्रबंध समिति है जो पुरी तरह से शिक्षकों ने अपने अधीन में रखा है।


गुणवत्ता पुर्ण शिक्षा कहाँ से बच्चों को मिलेगी? जहाँ विधालय ही बंद रहता हो शिक्षक विधालय नहीं पहुँचते ,महीनों बंद रहता है स्कूल।अगर शिक्षा का माहौल बनेगा तो बच्चे स्वंय स्कूल जायेंगे।सरकार को चाहिए कि बच्चों को लालच देने के बजाय शिक्षा का ललक पैदा कराये,शिक्षा के स्तर को बदले।बच्चों के भरण पोषण वाली योजना से विकसित समाज की कल्पना करना व्यर्थ है।बच्चों  को लाभ ना देकर सरकार अप्रत्यक्ष रूप से बिचौलियों  को लाभ दे रही है।
शिंक्षा को सही दिशा देने के लिए निगरानी  की आवश्यकता है अगर निगरानी ही नहीं होगी तो जीतनी भी निगरानी समितियाँ है सबको ख़त्म करे।एक नई शिक्षा प्रणाली लाये जिसमें विषयवार शिक्षक हों सभी खेलों के शिक्षक हों क्षेत्रीय भाषा के शिक्षक हों और कला के शिक्षक हों।प्रत्येक विधालय में सभी बच्चों पर एक कंम्पयुटर हो और कंम्पयुटर की क्लास हो सरकारी विधालय में ये सब मिले तो बच्चे में निजी विधालय की महत्ता कम होती जायेगी।
सबसे अहम है गुरू की भुमिका,जब तक वह बच्चों में लक्ष्य ना दे कुछ करने की,वह सच्चा गुरू हो ही नहीं सकता।इसीलिए तो कहतें हैं शिक्षक और सड़क दोनों एक ही जैसे होते  हैं जहाँ से शुरू करते हैं वहीं खड़े रहते हैं लेकिन दुसरों को उसकी मंज़िल तक अवश्य पहुँचा देते हैं ।
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नेक्स्ट-न्यूज़ 
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साहिबगंज :- 20/08/2017
बरहेट ब्लॉक  के  मीटिंग  सभागार  में  एक  आकस्मिक  बैठक जिलापरिषद चेयरमैन  रेणुका  मुर्मू  के  अध्यक्षता  में  की  गयी .ये  बैठक  जागरूकता  को  लेकर रखी गयी थी
जिस  तरह  से  उधवा  में  कल  एक  महिला  की  बेरहमी  से  भीड़  ने  हत्या  कर  दी  महज  एक  झूठी  मनगढंत  अफवाह   के  कारण .इसमें  मुख्य रूप से  अन्धविश्वास  साफ  तौर  पर  नजर  आ  रहा  है .
अभी  भी  लोगो  के  बीच  अन्धविश्वास पूरी  तरह  ब्याप्त  है  जिसके  लिए  जागरूकता  की  बहुत  जरुरत  है .इसके  लिए  शिक्षा   विभाग  और  समाज  कल्याण   हेल्थ  डिपार्टमेंट को अवगत करने  के  लिए  वर्कशॉप  और  नुक्कड़ नाटक  और  जागरूकता  रैली  के  आदेश  दिए  गए  अध्यक्ष  द्वारा . बैठक  में  बी०डी०ओ०,आंगनबाड़ी  सेविका  सहायिका ,बी०पी०ओ०  ,सी०आर०पी० आर०पी० मौजूद थे .
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साहिबगंज :- 19/08/2017
आज हम 21 वीं सदी में हैं और हम विकासित समाज के हिस्सा बन गये हैं जहाँ हम मंगल ग्रह में नयी दुनिया बसाने की बात करते हैं ।हर दिन एक नई तकनीक का विकास हमारे नौजवान नये जोश नये उत्साह से करते हैं जिसका हम बहुत गर्व से स्वागत करतें हैं ।सबसे अहम  विषय इसमें ये है कि इस नव निर्माण भारत को नये आयाम तक ले जाने में महिलाओं ने भी अपनी पुरी ताक़त झोंकीं जिससे हम आदि-शक्ति कहतें हैं !
महिलाओं ने बहुत संघर्षों के बाद यह हासिल किया कई महिलाओं की प्रेरक महिला बनी ! इसका गवाह है कि महिलायें आज घर की दहलीज़ से निकलकर स्वंय को तलाश रही है खुद की पहचान पा रही है।
ये दीगर है कि यहां तक पहुँचना इतना आसान नहीं था इन्होंने काफी कुछ त्याग किया है काफी प्रताड़ना झेला है काफ़ी ताना सहा है लेकिन इससे संभव किया है महिलाओं के हौसले ने,उनके विश्वास ने।हमेशा से ही महिला को ही टारगेट किया जाता रहा है ताकि उसके हौसले को कुचला जा सके  और पुनः चारदीवारी के अंदर उनके हौसले दम तोड़ दे ।
अगर ऐसा नहीं है तो कौन ये अंधविश्वास को हवा देने की कोशिश कर रहा है कि बाल काट दिया जाता है कोई  महिला के और किसी को ख़बर तक नहीं होती ,ताज्जुब,कि शिकार छोटे गाँव की महिला हो रही है,मैं जानना चाहती हुँ कि शहरी महिला शिकार क्यों नहीं हो रही है? है कोई जवाब ? मैं बताती हुँ क्योंकि अंधविश्वास के शिकार गाँव  की भोली भाली महिलाएँ होती है इसलिए वे अंधविश्वास उनके बीच फैलाई जा रही है।
इसमें तीन तरह के लोग हैं जो समाज को भ्रमित करने में लगे हैं एक  वह जो देशद्रोह का काम करता हो दुसरा वह जो अपनी दुकान चलाना चाहता हो तीसरा वह जो समाज में महिलाओं पर अंकुश लगाना चाहता हो।ग़ौरतलब है कि अंधविंश्वास को रोकना हम सबका प्रयास होना चाहिए घर में वैसा कोई चीज़ ना करें जिससे करने से अंधविश्वास को बढ़ावा मिले ।वैसे लोंगो को चिन्हित करें जो समाज को सौ साल पीछे ढकेलने की कोशिश कर रहा हो ।याद रहे अंधविश्वास  एक ऐसी लत है जिसका अंत किसी दुसरे तीसरे को नुक़सान पहुँचा कर ही की जाती है।इससे किसी का भला नहीं होता पर नुक़सान की शतप्रतिशत गारंटी रहती है।ख़ुद जागरूक रहें और समाज में जागरूकता फैलायें।