25 जुलाई 2017

आलेख -दीप सिंह 
साहिबगंज -25/07/2017 
मेरे नाम पर राजनीति करने वालो कुछ तो रहम करो,अपने साथ मेरा भी कल्याण करो.

राजमहल लोकसभा व बोरियो बिधानसभा का एक आदिवासी बाहुल्य प्रखण्ड है तालझारी जो सिर्फ राजनीति के बलि बेदी पर भेंट चढ़ रहा है. इस आदिवासी बाहुल्य प्रखण्ड के सांसद और बिधायक जो  भी थे या है सभी अ.ज.जा. आरक्षित जनप्रतिनिधि ही है. सौभाग्य प्रखण्ड का की जे.एम.एम. के शासन काल में भी जे.एम.एम. के बिधायक व भाजपा के शासन काल में भी भाजपा के बिधायक , लेकिन दुर्भाग्य की जनता की याद जनप्रतिनिधियो को बस चुनाव में आती है.
शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह खत्म है. भगोड़ा टीचर का गिरोह सक्रिय है. पहाड़ो के क्षेत्र मे संचालित अधिकांश बिद्यालय वर्ष में दो बार झंडोतोलन के लिये खुलते है. आदिवासी के बच्चे को शिक्षित करेंगे ये नेताओ के भाषण व बिभिन्न सरकार के घोषणा पत्र में सुने होंगे .धरातल पर भोले भाले आदिवासी व पहाड़िया आज के डिजिटल इण्डिया की सोंच में भी पिछड़ेपन का शिकार है. जिसके नाम पर झारखण्ड की राजनीति गरमाई रहती है उसका ही कल्याण नही.
सड़क ,स्वाथ्य  व सरकारी सुविधा से अधिकांश परिवार वंचित है. एक आदिवासी व पहाड़िया का जनप्रतिनिधि व राजनितिक दलो के प्रतिनिधि से अपील - अपने साथ मेरा भी कल्याण करो. जनप्रतिनिधि व प्रशासन अगर ठान लेंगे तो यह इस प्रखण्ड के पिछड़े जनता सचमुच डिजिटल इंडिया का सपना पूरा करेंगे.

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