साहिबगंज :- 02/10/2019. " स्वच्छता ही सेवा" स्वच्छता पखवाड़ा के तहत देश भर में बुधवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई गई। साहिबगंज महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों ने भी कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ रंजीत कुमार सिंह के नेतृत्व में नेताजी सुभाष चौक से होते हुए गांधी चौक तक जागरूकता रैली निकाली तथा महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की । इस अवसर पर छात्र-छात्राओं स्वच्छता शपथ ली। गांधी जी के आदर्शों एवं विचार को अपने जीवन में उतारने की भी प्रतिज्ञा की। अपने संबोधन के दौरान डॉ रंजीत कुमार सिंह ने कहा की गांधी जी स्वच्छता को सर्वोपरि मानते थे यही वजह है कि उनके नाम पर पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की. गांवों की स्वच्छता के संदर्भ सार्वजनिक रूप से गांधी जी ने पहला भाषण 14 फरवरी 1916 को मिशनरी सम्मेलन के दौरान दिया था. आज अगर स्वच्छता अभियान की सफलता सुनिश्चित करनी है, तो गांधी जी के इन विचारों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए .
- आंतरिक स्वच्छता पहली वस्तु है, जिसे पढ़ाया जाना चाहिए. बाकी बातें इसे पढ़ाने के बाद ही लागू की जानी चाहिए.। कार्यक्रम के दौरान एनएसएस छात्र अमन कुमार होली ने कहा कि
- यदि कोई व्यक्ति स्वच्छ नहीं है तो वह स्वस्थ नहीं रह सकता है. और यदि वह स्वस्थ नहीं है तो स्वस्थ मनोदशा के साथ नहीं रह पाएगा. स्वस्थ मनोदशा से ही स्वस्थ चरित्र का विकास होगा.
- यदि कोई व्यक्ति अपनी स्वच्छता के साथ दूसरों की स्वच्छता के प्रति संवेदनशील नहीं है तो ऐसी स्वच्छता बेईमानी है. उदाहरण के लिए इसे अपना घर साफ कर कूड़ा दूसरे घर के बाहर फेंक देने के रुप में देखा जा सकता है. अगर सभी लोग ऐसा करने लगें, तो ऐसे में तथाकथित स्वच्छ लोग अस्वच्छ वातावरण तथा अस्वच्छ समाज का ही निर्माण करेंगे.
- हम अपने घरों से गंदगी हटाने में विश्वास करते हैं. लेकिन समाज की परवाह किए बगैर इसे गली में फेंकने में विश्वास करते हैं. हम व्यक्तिगत रूप से साफ-सुथरे रहते हैं. परंतु राष्ट्र के, समाज के सदस्य के तौर पर नहीं. जिसमें कोई व्यक्ति छोटा-सा अंश होता है. यही कारण है कि हम अपने घर के दरवाजों पर इतनी अधिक गंदगी और कूड़ा-कचड़ा पड़ा हुआ पाते हैं. हमारे आस-पास कोई अजनबी अथवा बाहरी लोग गंदगी फैलाने नहीं आते हैं. ये हम ही हैं जो अपने आस-पास रहते हैं.। गांधी जी के विचारों एवं आदर्शों को मानते हुए अहिंसा सत्य की परंपरा को अपने जीवन में धारण करते हुए स्वच्छता को अपनाना अत्यंत ही जरूरी है। साथ ही साथ अपने पर्यावरण को शुद्ध एवं प्रदूषण मुक्त बनाए रखने के लिए प्लास्टिक मुक्त वातावरण का निर्माण करना आवश्यक है । कार्यक्रम में बहुत सारे छात्रों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। साथ ही साथ छात्रों ने कॉलेज केंपस में श्रमदान भी किया।इस अवसर पर दर्जनों की संख्या में छात्र-छात्राओं ने अपनी सराहनीय भूमिका अदा की।
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हिंदी मेरी शान है..!
हिंदी मेरी शान है ,
है हिंदी अभिमान l
ओजस्विनी और अनूठी ,
सुंदर मनोरम है या मीठी l
सरल सुदृढ़ असीम साहित्य-
से सुसज्जित यह हिंदी,
जन मन की तृप्ति
आर्यों की अनुपम परंपरा की धनी
कालजई यह हिंदी l
हिंद की पहचान है हिंदी,
भारती की धात्री या हिंदी,
मेरा अभिमान , मेरा शान यह हिंदी l
लाई जो स्वतंत्रता की फरमान ,
जग में हो गया जिससे हिंदुस्तान का गौरव गानl
आम जनों की चिर अभिलाषी ,
मन को जो हमेशा से है भाती l
खुले गगन के सितारों की भाती ,
जग की रात्रि में उज्जवल जो बिखेरति l
सूर कबीर तुलसी की प्यारी ,
रची जिसमें मीरा अपनी रागिनी l
भारतेंदु निराला पंत की सुभाषिनी ,
मातृत्व इसने है जिसमें रची बसी
भारतीय एकता को जो पुकारती l
जनजीवन की परिभाषा हिंदी ,
अमन चैन की भाषा हिंदी l
मेरा अभिमान मेरा शान ,
मेरी पहचान मेरा गौरव गान है हिंदी l
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साहिबगंज :- 13/09/2019. लाइफलाइन एक्सप्रेस (जीवनरेखा एक्सप्रेस) दुनिया की पहली हॉस्पिटल ट्रेन है..। 16 जुलाई 1991 में चलाई गई लाइफलाइन एक्सप्रेस ने देश भर का सफर किया है..। इसका मुख्य उद्देश्य दूर-दराज और दुर्गम इलाकों में मेडिकल सहायता पहुंचाना है..।हॉस्पिटल-ऑन-वील्स..! लाइफलाइन एक्सप्रेस को मैजिक ट्रेन ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। यह पिछले 23 साल से काम कर रही है..। इस ट्रेन को इम्पैक्ट इंडिया फाउंडेशन भारतीय रेलवे के साथ मिलकर चलाती है..। ट्रेन पर बेहतरीन स्टेट-ऑफ-द-आर्ट ऑपरेशन थिएटर हैं..। सर्जनों ने इस ओटी में कटे होंठ, पोलियो और मोतियाबिंद जैसे कई ऑपरेशन किए हैं..। पिछले 23 सालों में इस ट्रेन ने बिहार, महाराष्ट्र, एमपी से लेकर बंगाल और केरल सहित पूरे भारत का सफर तय किया है..। लाइफलाइन एक्सप्रेस का मेन टारगेट अच्छी मेडिकल सुविधा से महरूम ग्रामीण इलाकों में इलाज की सुविधाएं मुहैया कराना है। अलग-अलग राज्यों में कई प्राइवेट और पब्लिक ऑर्गनाइजेशन इसके प्रोजेक्ट्स को स्पॉन्सर करते हैं। लाइफलाइन एक्सप्रेस में मोतियाबिंद ऑपरेशन के जरिए आंखों की रोशनी लौटाने, सर्जरी के जरिए कटे होठ ठीक करने, दांतों का इलाज जैसी सुविधाएं दी जाती हैं। लाइफलाइन एक्सप्रेस में साथ ही छोटे शहरों के सर्जनों को इसके जरिए सिखाया भी जाता है। इ्म्पैक्ट इंडिया के मुताबिक, लाइफलाइन एक्सप्रेस के मॉडल से दूसरे देश भी सीख रहे हैं और चीन व सेंट्रल अफ्रीका में इसी की तर्ज पर प्रोजेक्ट बनाए जा रहे हैं। इसी से प्रेरणा लेकर बांग्लादेश और कंबोडिया में नाव पर अस्पताल भी शुरू किए गए हैं। साहिबगंज महाविद्यालय से भी 30 से अधिक वॉलिंटियर राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ रंजीत कुमार सिंह के नेतृत्व में निस्वार्थ भाव से 4 सितंबर से निरंतर सेवा दे रहे हैं..! साथ में मरीजों एवं पीड़ित व्यक्तियों के लिए श्रमदान कर रहे हैं..! स्वयंसेवकों के व्यवहार एवं कर्तव्यनिष्ठा को देखकर सेवा का लाभ उठा रहे मरीज भी काफी खुश है..! हालांकि मरीजों की समस्याएं काफी व्यापक है फिर भी अपनी जरूरत के मुताबिक एनएसएस वॉलिंटियर्स हर संभव सहायता पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं ताकि मरीजों को किसी प्रकार का दिक्कत ना हो सके l
*********- आंतरिक स्वच्छता पहली वस्तु है, जिसे पढ़ाया जाना चाहिए. बाकी बातें इसे पढ़ाने के बाद ही लागू की जानी चाहिए.। कार्यक्रम के दौरान एनएसएस छात्र अमन कुमार होली ने कहा कि
- यदि कोई व्यक्ति स्वच्छ नहीं है तो वह स्वस्थ नहीं रह सकता है. और यदि वह स्वस्थ नहीं है तो स्वस्थ मनोदशा के साथ नहीं रह पाएगा. स्वस्थ मनोदशा से ही स्वस्थ चरित्र का विकास होगा.
- यदि कोई व्यक्ति अपनी स्वच्छता के साथ दूसरों की स्वच्छता के प्रति संवेदनशील नहीं है तो ऐसी स्वच्छता बेईमानी है. उदाहरण के लिए इसे अपना घर साफ कर कूड़ा दूसरे घर के बाहर फेंक देने के रुप में देखा जा सकता है. अगर सभी लोग ऐसा करने लगें, तो ऐसे में तथाकथित स्वच्छ लोग अस्वच्छ वातावरण तथा अस्वच्छ समाज का ही निर्माण करेंगे.
- हम अपने घरों से गंदगी हटाने में विश्वास करते हैं. लेकिन समाज की परवाह किए बगैर इसे गली में फेंकने में विश्वास करते हैं. हम व्यक्तिगत रूप से साफ-सुथरे रहते हैं. परंतु राष्ट्र के, समाज के सदस्य के तौर पर नहीं. जिसमें कोई व्यक्ति छोटा-सा अंश होता है. यही कारण है कि हम अपने घर के दरवाजों पर इतनी अधिक गंदगी और कूड़ा-कचड़ा पड़ा हुआ पाते हैं. हमारे आस-पास कोई अजनबी अथवा बाहरी लोग गंदगी फैलाने नहीं आते हैं. ये हम ही हैं जो अपने आस-पास रहते हैं.। गांधी जी के विचारों एवं आदर्शों को मानते हुए अहिंसा सत्य की परंपरा को अपने जीवन में धारण करते हुए स्वच्छता को अपनाना अत्यंत ही जरूरी है। साथ ही साथ अपने पर्यावरण को शुद्ध एवं प्रदूषण मुक्त बनाए रखने के लिए प्लास्टिक मुक्त वातावरण का निर्माण करना आवश्यक है । कार्यक्रम में बहुत सारे छात्रों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। साथ ही साथ छात्रों ने कॉलेज केंपस में श्रमदान भी किया।इस अवसर पर दर्जनों की संख्या में छात्र-छात्राओं ने अपनी सराहनीय भूमिका अदा की।
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हिंदी मेरी शान है..!
हिंदी मेरी शान है ,
है हिंदी अभिमान l
ओजस्विनी और अनूठी ,
सुंदर मनोरम है या मीठी l
सरल सुदृढ़ असीम साहित्य-
से सुसज्जित यह हिंदी,
जन मन की तृप्ति
आर्यों की अनुपम परंपरा की धनी
कालजई यह हिंदी l
हिंद की पहचान है हिंदी,
भारती की धात्री या हिंदी,
मेरा अभिमान , मेरा शान यह हिंदी l
लाई जो स्वतंत्रता की फरमान ,
जग में हो गया जिससे हिंदुस्तान का गौरव गानl
आम जनों की चिर अभिलाषी ,
मन को जो हमेशा से है भाती l
खुले गगन के सितारों की भाती ,
जग की रात्रि में उज्जवल जो बिखेरति l
सूर कबीर तुलसी की प्यारी ,
रची जिसमें मीरा अपनी रागिनी l
भारतेंदु निराला पंत की सुभाषिनी ,
मातृत्व इसने है जिसमें रची बसी
भारतीय एकता को जो पुकारती l
जनजीवन की परिभाषा हिंदी ,
अमन चैन की भाषा हिंदी l
मेरा अभिमान मेरा शान ,
मेरी पहचान मेरा गौरव गान है हिंदी l
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साहिबगंज :- 13/09/2019. लाइफलाइन एक्सप्रेस (जीवनरेखा एक्सप्रेस) दुनिया की पहली हॉस्पिटल ट्रेन है..। 16 जुलाई 1991 में चलाई गई लाइफलाइन एक्सप्रेस ने देश भर का सफर किया है..। इसका मुख्य उद्देश्य दूर-दराज और दुर्गम इलाकों में मेडिकल सहायता पहुंचाना है..।हॉस्पिटल-ऑन-वील्स..! लाइफलाइन एक्सप्रेस को मैजिक ट्रेन ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। यह पिछले 23 साल से काम कर रही है..। इस ट्रेन को इम्पैक्ट इंडिया फाउंडेशन भारतीय रेलवे के साथ मिलकर चलाती है..। ट्रेन पर बेहतरीन स्टेट-ऑफ-द-आर्ट ऑपरेशन थिएटर हैं..। सर्जनों ने इस ओटी में कटे होंठ, पोलियो और मोतियाबिंद जैसे कई ऑपरेशन किए हैं..। पिछले 23 सालों में इस ट्रेन ने बिहार, महाराष्ट्र, एमपी से लेकर बंगाल और केरल सहित पूरे भारत का सफर तय किया है..। लाइफलाइन एक्सप्रेस का मेन टारगेट अच्छी मेडिकल सुविधा से महरूम ग्रामीण इलाकों में इलाज की सुविधाएं मुहैया कराना है। अलग-अलग राज्यों में कई प्राइवेट और पब्लिक ऑर्गनाइजेशन इसके प्रोजेक्ट्स को स्पॉन्सर करते हैं। लाइफलाइन एक्सप्रेस में मोतियाबिंद ऑपरेशन के जरिए आंखों की रोशनी लौटाने, सर्जरी के जरिए कटे होठ ठीक करने, दांतों का इलाज जैसी सुविधाएं दी जाती हैं। लाइफलाइन एक्सप्रेस में साथ ही छोटे शहरों के सर्जनों को इसके जरिए सिखाया भी जाता है। इ्म्पैक्ट इंडिया के मुताबिक, लाइफलाइन एक्सप्रेस के मॉडल से दूसरे देश भी सीख रहे हैं और चीन व सेंट्रल अफ्रीका में इसी की तर्ज पर प्रोजेक्ट बनाए जा रहे हैं। इसी से प्रेरणा लेकर बांग्लादेश और कंबोडिया में नाव पर अस्पताल भी शुरू किए गए हैं। साहिबगंज महाविद्यालय से भी 30 से अधिक वॉलिंटियर राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ रंजीत कुमार सिंह के नेतृत्व में निस्वार्थ भाव से 4 सितंबर से निरंतर सेवा दे रहे हैं..! साथ में मरीजों एवं पीड़ित व्यक्तियों के लिए श्रमदान कर रहे हैं..! स्वयंसेवकों के व्यवहार एवं कर्तव्यनिष्ठा को देखकर सेवा का लाभ उठा रहे मरीज भी काफी खुश है..! हालांकि मरीजों की समस्याएं काफी व्यापक है फिर भी अपनी जरूरत के मुताबिक एनएसएस वॉलिंटियर्स हर संभव सहायता पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं ताकि मरीजों को किसी प्रकार का दिक्कत ना हो सके l
बलिदानी..!
यह आडंबर पूर्ण की राजनीति..,
बोलो बदलाव करेंगे क्या..?
यह कजरारे के गाने..,
बोलो मातृभूमि के घाव भरेंगे क्या..?
अमर शहीदों का सोनित धिक्कार रहा पुरुषों को..!
वह धोखेबाज पड़ोसी देखो ललकार रहा पुरुषों को..!!
श्रृंगार गीत हो तुम्हें मुबारक..,
' अमन ' की कलम को अंगार चाहिए..!
भारत के हित की रक्षा के खातिर..,
फिर से सरदार, भगत, सुभाष, आजाद चाहिए..!!
क्या उन अमर शहीदों का कोई घर बार नहीं था..?
भूल गए सब नाते रिश्ते क्या उनको परिवार नहीं था..?
क्या राखी के धागा का कोई उन पर अधिकार नहीं था..?
क्या उनको लंबी जीवन का कोई आस नहीं था..?
आजादी की खातिर लड़ते सूली पर वे झूल गए..!
आजाद देश के वासी क्या उनके बलिदानों को भूल गए..!!
अमर शहीदों को पूरा संवैधानिक अधिकार चाहिए..!
भारत की हित की रक्षा के खातिर फिर से..,
अब बिस्मिल, अशफाक, उधम जैसे देशभक्त चाहिए..!
भला क्यों आज हम स्वार्थ लिप्त हो रहे हैं..!
मातृभूमि को आजादी दिलाने वाले उन वीर सपूतों को भूल रहे..!!
जरा याद आओ हम उनको भी कर ले..!
एक बूंद अश्रु वीरों के नाम भी बहा ले..!
मातृभूमि की रक्षा हेतु, सर्वस्व न्योछावर करने वाले..!
उन वीर सपूतों को नमन सदा यूंही हंसता और खिलखिलाता रहे..!
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